श्रीलंका में अचानक चुनाव कराने की घोषणा से अमेरिका चिंतित
श्रीलंका के राष्ट्रपति द्वारा अचानक चुनाव कराने की घोषणा को लेकर शनिवार को अमेरिका ने चिंता जताई है।
वाशिंगटन, एएफपी। श्रीलंका के राष्ट्रपति द्वारा अचानक चुनाव कराने की घोषणा को लेकर शनिवार को संयुक्त राज्य अमेरिका ने चिंता जताई। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री को बर्खास्त करके और पूर्व सत्तावादी नेता महिंदा राजपक्षे को इस पद पर स्थापित करके राजनीतिक संकट को जन्म दे दिया था। इससे पहले उन्होंने 5 जनवरी को चुनाव कराने का फैसला किया था।
अमेरिकी विदेश विभाग ने ट्विटर पर एक बयान में कहा कि श्रीलंका संसद को भंग कर देने की खबर से अमेरिका चिंतित है। इससे यहां राजनीतिक संकट और गहरा सकता है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका को एक प्रतिबद्ध भागीदार के तौर पर हम मानते हैं कि यहां स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए लोकतांत्रिक संस्थानों और प्रक्रियाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
नवनिर्वाचित विदेश मामलों के प्रमुख ने खत लिखकर सिरीसेन को मिलेनियम चैलेंज सहयोग के तहत की गई यूएस सहायता को ठुकराने को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश, हमें डर है कि हालिया कार्रवाई अगर सही नहीं हुई तो आपके देश में हाल के वर्षों में हुए लोकतांत्रिक विकास को झटका लगेगा। इस खत पर डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव जीतने के बाद हाउस कमेटी का प्रभार लेने के लिए तैयार प्रतिनिधि एलियट एंजेल समेत तीन सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
राजपक्षे की 2015 में चुनावी हार के बाद से पश्चिमी देशों के साथ श्रीलंका के संबंध काफी अच्छे हुए हैं। राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान ही लंबे वक्त से चल रहे तमिल टाइगर्स का विद्रोह खत्म हुआ था। उन्होंने अंतिम अभियान में किसी भी मानवाधिकार के दुरुपयोग को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद 40,000 नागरिकों की मृत्यु हो गई थी। राजपक्षे के पास प्रधानमंत्री बनने के लिए जरूरी मत नहीं हैं। बर्खास्त किए गए प्रधानमंत्री रानील विक्रमसिंघे ने भी पीछे हटने से इंकार कर दिया है। विक्रमसिंघे के एक सहयोगी ने आरोप लगाया है कि चीन से राजपक्षे को आर्थिक मदद सहायता मिल रही है। लेकिन चीन ने आरोपों का खंडन किया है।