अमेरिका में वापस पटरी पर लौट रही जिंदगी को 'डेल्टा वैरिएंट' से है खतरा, विशेषज्ञों ने जताई ये चिंता
वायरस का B.1.617.2 वैरिएंट जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation WHO) ने डेल्टा नाम दिया है अन्य रूपों की तुलना में अत्यधिक संक्रामक बताया जा रहा है। भारत में सबसे पहले डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण का मामला सामने आया था और यह काफी संक्रामक है।
वाशिंगटन, एएनआइ। 2019 के अंत में चीन के वुहान से निकले नॉवेल कोरोना वायरस का नया वैरिएंट 'डेल्टा (Delta)' दुनिया में चिंता कारण बन रहा है। इस क्रम में अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) भी इस वैरिएंट को लेकर गंभीर है। वायरस का B.1.617.2 वैरिएंट जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation, WHO) ने डेल्टा नाम दिया है अन्य रूपों की तुलना में अत्यधिक संक्रामक बताया जा रहा है।
इस बीच अमेरिका में वैक्सीनेशन की सफलता को देखते हुए कोरोना प्रोटोकॉल के तहत लगी तमाम पाबंदियों को हटाया जा रहा है और जिंदगी वापस सामान्य होने की जद्दोजहद में जुट गई है। लेकिन विशेषज्ञों ने डेल्टा वैरिएंट को लेकर चिंता जताई और कहा है कि यदि हम सतर्क न रहें तो डेल्टा वैरिएंट फिर से हमें उसी मुहाने पर पहुंचा सकती है। कोरोना संक्रमण के इलाज में उपयोग किए जा रहे मोनोक्लोनल एंडीबडी थेरेपी भी डेल्टा वैरिएंट को निष्क्रिय करने में सक्षम नहीं है। दरअसल इस थेरेपी के तहत इस्तेमाल किए जा रहे दवा के जरिए शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए प्राकृतिक रूप से बनी एंटीबडी की कॉपी बनती है। भारत में सबसे पहले डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण का मामला सामने आया था और यह काफी संक्रामक है।
एजेंसी के अनुसार सबसे अधिक संक्रामक होने के साथ ही इसके खत्म होने के भी काफी कम साक्ष्य हैं। इससे पहले CDC ने इस वैरिएंट को कमजोर समझा था लेकिन यह वास्तविक कोविड-19 स्ट्रेन की तुलना में दोगुना संक्रामक है। WHO ने 10 मई को ही डेल्टा का जिक्र चिंता के विषय के तौर पर किया था। इस खतरनाक वैरिएंट पर सोमवार को स्कॉटलैंड में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया। इसके अनुसार अल्फा वैरिएंट की तुलना में इस वैरिएंट से संक्रमितों का आंकड़ा दोगुना होने की संभावना है। B.1.1.7 यानि अल्फा वैरिएंट से संक्रमण का मामला सबसे पहले ब्रिटेन में आया था।