तनाव के बीच ईरान के तेल टैंकर को अमेरिका ने किया ब्लैकलिस्ट, जानें- क्या रही वजह
21 लाख बैरल तेल से भरे इस टैंकर को जुलाई में भूमध्यसागर स्थित ब्रिटिश उपनिवेश पर हिरासत में ले लिया था।
वाशिंगटन, एएफपी। अमेरिका ने हाल ही में जिब्राल्टर के कब्जे से रिहा हुए ईरान के तेल टैंकर एड्रियन दरया-1 को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। उसका दावा है कि ईरान सीरिया पर लगे प्रतिबंधों का उल्लंघन कर इस टैंकर से वहां तेल पहुंचा रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने इस संबंध में पक्की जानकारी होने को लेकर ट्वीट भी किया है। 21 लाख बैरल तेल से भरे इस टैंकर को जुलाई में भूमध्यसागर स्थित ब्रिटिश उपनिवेश पर हिरासत में ले लिया था। बाद में अमेरिका के विरोध के बावजूद 15 अगस्त को जिब्राल्टर की एक अदालत के आदेश पर उसे छोड़ा गया था।
टैंकर के साथ ही पोत के कैप्टन को ब्लैकलिस्ट करने के बाद अमेरिका के वित्त विभाग ने कहा, 'आतंकवाद विरोधी आदेश के तहत यह टैंकर अवरुद्ध संपत्ति है। इसकी मदद करने वालों को भी प्रतिबंधित किया जा सकता है।' जिब्राल्टर के कब्जे से छूटने के बाद एड्रियन दरया-1 ने भूमध्यसागर में कई बार अपनी दिशा बदली है। इसके अंतिम पड़ाव को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही है।
समुद्री यातायात की निगरानी करने वाली एजेंसी ने टैंकर के तुर्की के इस्केनदेरुन की तरफ मुड़ने की जानकारी दी थी। वहां के विदेश मंत्री मेवलत कावुसोग्लू ने तुरंत इसे खारिज कर टैंकर लेबनान जाने की बात की थी। लेबनान सरकार ने इससे इन्कार करते हुए कहा कि रिफानरी ना होने के चलते वह कच्चा तेल खरीदता ही नहीं। दरअसल, ईरान ने बीते सोमवार को तेल बेच दिए जाने की बात की थी। हालांकि उसने यह नहीं बताया कि इसे किसे बेचा गया है।
ईरान के तेल बिक्री पर ढील दे रहा अमेरिका
ईरान के उप विदेश मंत्री अब्बास अराकची का कहना कि अमेरिका ईरान के तेल बिक्री पर ढील दे रहा है। दरअसल, पिछले साल अमेरिका ने 2015 में हुई परमाणु संधि से खुद को अलग कर ईरान पर दोबारा कई प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके चलते दोनों देशों में टकराव जारी है।
हाल में हुए जी7 देशों के सम्मेलन के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने ट्रंप से मुलाकात कर इस मसले के हल पर बातचीत की थी। इसको लेकर ईरान के उप विदेश मंत्री अब्बासी अराकची ने कहा, 'मैक्रों ने ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान ट्रंप ने ईरान के तेल बिक्री के मसले पर थोड़ी ढील देने के संकेत दिए। यह अमेरिका के दबाव की नीति की हार और ईरान के प्रतिरोध की नीति की जीत है।'
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