क्राउन प्रिंस के करीबी समेत 16 सऊदी अफसरों के अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है मंत्रालय के पास यह विश्वसनीय जानकारी है कि ये अधिकारी भ्रष्टाचार या मानवाधिकारों के उल्लंघन में लिप्त हैं।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। पत्रकार जमाल खशोगी हत्याकांड को लेकर आलोचना का सामना कर रहे ट्रंप प्रशासन ने सऊदी अरब के 16 अधिकारियों के अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। इन लोगों में सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के करीबी सऊद अल-कहतानी भी शामिल हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने सोमवार को यह घोषणा की।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, 'मंत्रालय के पास यह विश्वसनीय जानकारी है कि ये अधिकारी भ्रष्टाचार या मानवाधिकारों के उल्लंघन में लिप्त हैं। इसलिए ये लोग और इनके पारिवारिक सदस्य अमेरिका में प्रवेश करने के लिए अयोग्य हो गए हैं।' इससे पहले विदेश मंत्रालय ने सऊदी अरब के करीब दो दर्जन अधिकारियों के वीजा रद कर दिए थे और 17 अन्य की संपत्ति जब्त कर ली थी।
कौन है सऊद अल-कहतानी
बताया जाता है कि क्राउन प्रिंस के करीबी सहयोगी सऊद अल-कहतानी की निगरानी में ही खशोगी की हत्या को अंजाम दिया गया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार, अल-कहतानी ने एक गोपनीय टीम बनाई थी जो क्राउन प्रिंस के विरोधियों का मुंह बंद कराने या उनका काम तमाम करने का काम करती थी। इस टीम को सऊदी रैपिड इंटरवेंशन ग्रुप बताया गया था।
क्राउन प्रिंस का आया था नाम
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए ने खशोगी की हत्या के लिए क्राउन प्रिंस को जिम्मेदार ठहराया था। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने क्राउन प्रिंस की बातचीत को रिकार्ड किया था। इसमें वह यह कहते हुए सुनाई दिए थे कि अगर खशोगी सऊदी अरब लौटने को तैयार नहीं है तो उसे गोली मार दो।
सऊदी दूतावास में हुई थी हत्या
सऊदी मूल के खशोगी की गत दो अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल शहर स्थित सऊदी दूतावास में हत्या कर दी गई थी। अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट के लिए लिखने वाले खशोगी क्राउन प्रिंस के मुखर आलोचक थे। वह अपनी शादी के दस्तावेज लेने दूतावास गए थे।
क्राउन प्रिंस के साथ खड़े रहे ट्रंप
सीआइए की जांच रिपोर्ट में सऊदी क्राउन प्रिंस का नाम आने के बावजूद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनके खिलाफ कोई कदम उठाने से इन्कार कर दिया था। ट्रंप ने सऊदी अरब को प्रमुख हथियार आयातक और क्षेत्र में अमेरिका का अहम सहयोगी बताया था।