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अमेरिका ने ताइवान को सशस्त्र ड्रोन देने की मंजूरी दी, चीन को लगा झटका

चीन ताइवान को अपना अलग हुआ प्रांत बताकर उस पर अधिकार जताता है जबकि ताइवान का कहना है कि वह संप्रभु देश है। अन्य मुद्दों के साथ ही ताइवान को हथियार दिए जाने से चीन-अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 02:53 PM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 02:53 PM (IST)
अमेरिका ने ताइवान को सशस्त्र ड्रोन देने की मंजूरी दी, चीन को लगा झटका
अमेरिका ने ताइवान को सशस्त्र ड्रोन देने की मंजूरी दी।

वाशिंगटन, एपी। चीन की चेतावनी के बावजूद अमेरिका ताइवान की सैन्य शक्ति को लगातार मजबूत कर रहा है। पिछले दिनों हुए समझौते के तहत अमेरिका की सरकार ने ताइवान को 60 करोड़ डॉलर (करीब 44 सौ करोड़ रुपये) के सशस्त्र ड्रोन बेचने को मंजूरी दे दी है। विदेश विभाग ने इस जानकारी की पुष्टि करते हुए कहा है कि ताइवान को रिमोट संचालित सशत्र ड्रोन व अन्य उपकरण देने की प्रक्रिया मंजूर कर ली गई है।

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इनके मिलने के बाद ताइवान को अपनी सुरक्षा, सैन्य संतुलन और राजनीतिक स्थिरता में मदद मिलेगी। ज्ञात हो कि पिछले सप्ताह ही अमेरिकी सरकार ने ताइवान को 237 करोड़ डालर की हार्पून मिसाइल बूेचने पर सहमति दी थी। चीन ने विरोध जताते हुए हथियारों को सप्लाई करने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। दरअसल चीन ताइवान को अपना अलग हुआ प्रांत बताकर उस पर अधिकार जताता है, जबकि ताइवान का कहना है कि वह संप्रभु देश है। अन्य मुद्दों के साथ ही ताइवान को हथियार दिए जाने से चीन-अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है।

अमेरिका, ताइवान को देगा हार्पून मिसाइल

चीन की धमकी से बेपरवाह अमेरिका ने ताइवान को अब हार्पून मिसाइल देने का फैसला किया है। यह मिसाइल बेहद घातक मानी जाती है। हार्पून मिसाइल जमीनी लक्ष्यों के साथ ही युद्धपोतों को तबाह करने में सक्षम है। इस मिसाइल में जीपीएस लगा है। इससे यह सटीक हमला करती है। इस मिसाइल से तटीय रक्षा ठिकानों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अड्डों के साथ ही बंदरगाहों पर ख़़डे पोतों और औद्योगिक केंद्रों को भी तबाह किया जा सकता है। अमेरिका का  ताइवान को 2.37 अरब डॉलर ([करीब 17 हजार 400 करो़़ड रपये)] के हार्पून मिसाइल सिस्टम बेचने की योजना है।

चीन द्वीपीय क्षेत्र ताइवान को अपना मानता है। वह इस क्षेत्र पर कब्जे के लिए कई बार हमले की धमकी भी दे चुका है। वषर्ष 1949 में गृहयुद्ध के दौरान यह द्वीपीय क्षेत्र चीन से अलग हो गया था।


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