China vs US: हांगकांग को लेकर दो हिस्सों में बंटी दुनिया, UNSC में रूस ने चीन से निभाई दोस्ती
अगर हांगकांग पर चीन अपने रुख पर कायम रहता है तो उसका US से टकराव और गहरा हो सकता है। फिलहाल UNSC में इस मामले को उठाने के साथ अमेरिका ने अपनी पहली कूटनीतिक जीत दर्ज कर ली है।
न्यूयॉर्क, एजेंसी। चीन द्वारा निर्मित विवादित हांगकांग सुरक्षा कानून की गूंज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुनाई दी। दुनियाभर में मानवाधिकार की पैरवी करने वाले अमेरिका ने इस कानून का जमकर विरोध किया और चीन को आड़े हाथ लिया। उसका साथ ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा समेत तमाम पश्चिमी मुल्कों मुल्कों ने दिया। वहीं इस मामले में रूस ने चीन के साथ अपनी दोस्ती का फर्ज निभाया उसने इस मंच पर भी चीन का साथ दिया। गौरतलब है कि चीन की संसद ने गुरुवार को हांगकांग में एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का प्रस्ताव पारित किया है। इसे लेकर चीन का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध हो रहा है। ऐसे चिंता जाहिर की जा रही है कि इस कानून से हांगकांग में मानवाधिकार का उल्लंघन होगा।
हांगकांग पर अमेरिका की पहली कूटनीतिक जीत
चीन के तमाम विरोध के बावजूद यह मुद्दा 15 सदस्यी सुरक्षा परिषद में उठाया गया। हालांकि, चीन ने हांगकांग के मामले को सुरक्षा परिषद में उठाए जाने का प्रबल विरोध कर रहा था। उसका तर्क था कि हांगकांग चीन का आंतरिक मामला है। इस पर किसी देश को हस्तक्षेप करने का अधिकार नही है, लेकिन इस मामले में ड्रैगन की नहीं चली। सुरक्षा परिषद के सदस्यों द्वारा वीडियो क्रांफ्रेंसिंंग के जरिए इस पर अनौपचारिक चर्चा हुई। हालांकि, चीन के विरोध के कारण सुरक्षा परिषद में इस पर खुली बहस नहीं हुई। अलबत्ता, सुरक्षा परिषद में इस मामले को लाकर अमेरिका ने अपनी पहली कूटनीतिक जीत दर्ज कर ली है। चीन पर हांगकांग सुरक्षा कानून को खत्म करने का जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया गया है। हालांकि, ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन अमेरिका ने चीन पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया है।
रूस ने निभाई दोस्त, अमेरिका को दिया जवाब
चीनी और रूसी राजनयिकों ने परिषद की चर्चा के दौरान मानवाधिकार मुद्दे पर अमेरिका को घेरने की तैयारी की। उन्होंने निहत्थे अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति की हत्या पर अमेरिका की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह सरासर मानवाधिकार का उल्लंघन है। रूस के उप संयुक्त राष्ट्र के राजदूत दिमित्री पॉलानस्की ने परिषद की चर्चा के बाद ट्विटर पर पोस्ट किया कि क्या अमेरिका ने हांगकांग में शांति और व्यवस्था के लिए चीन के अधिकार को नकार दिया है। चीन के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत झांग जून ने बैठक के बाद एक बयान में कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन को अपने स्वयं के व्यवसाय को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन के आंतरिक मामले के हस्तक्षेप की कोई रणनीति और योजना निष्फल होगी।
'एक देश, दो प्रणालियों' ढांचे को कमजोर करेगा चीन का नया कानून
एक संयुक्त बयान में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने गुरुवार को हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के चीन के फैसले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम 'एक देश, दो प्रणालियों' ढांचे को कमजोर करेगा। उन्होंने आगे कहा कि इस कानून से चीन के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के साथ संघर्ष तेज होगा। इसके साथ हांगकांग पर मानवाधिकार को लेकर भी चिंता जाहिर किया।