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अमेरिका और चीन ने Trade War पर नरम रुख अपनाते हुए की पहले चरण की ऐतिहासिक कारोबारी डील

चीन अपने आर्थिक व कारोबारी व्यवस्था में बौद्धिक संपदा टेक्नोलॉजी हस्तांतरण कृषि वित्तीय सेवाओं और मुद्रा व फॉरेन एक्सचेंज जैसे मुद्दों पर बदलाव के लिए हुआ राजी

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 07:56 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 07:56 AM (IST)
अमेरिका और चीन ने Trade War पर नरम रुख अपनाते हुए की पहले चरण की ऐतिहासिक कारोबारी डील
अमेरिका और चीन ने Trade War पर नरम रुख अपनाते हुए की पहले चरण की ऐतिहासिक कारोबारी डील

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका और चीन ने लगभग डेढ़ वर्षो के आपसी ट्रेड वार पर रुख नरम करते हुए पहले चरण की ऐतिहासिक कारोबारी डील कर ली है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को सिलसिलेवार ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी दी। वहीं, चीन के उप वाणिज्य मंत्री वैंग शॉवेन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पहले चरण की डील के लिए दोनों पक्ष कारोबारी बातचीत के महत्वपूर्ण मुकाम पर पहुंचने पर सहमत हो गए हैं।

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पहले चरण की बातचीत के तहत चीन अपने आर्थिक व कारोबारी व्यवस्था में बौद्धिक संपदा, टेक्नोलॉजी हस्तांतरण, कृषि, वित्तीय सेवाओं और मुद्रा व फॉरेन एक्सचेंज जैसे मुद्दों पर बदलाव के लिए राजी हो गया है। चीन ने इस पर भी सहमति जताई है कि वह आने वाले वर्षो में अमेरिका से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में भारी इजाफा करेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों देश एक बेहद मजबूत विवाद निपटान तंत्र स्थापित करने पर सहमत हो गए हैं, जिसके माध्यम से विवादों का यथाशीघ्र और प्रभावी निपटान किया जाएगा।

दोनों देशों के कारोबारी समझौते पर पहुंच जाने की वजह से अमेरिका ने अपने कारोबारी कानूनों में बड़े बदलाव के प्रति भी सहमति जता दी है। अपने ट्वीट में ट्रंप ने कहा, 'हम पहले चरण की विशाल डील के लिए सहमत हो गए हैं। कृषि उत्पादों, एनर्जी, उत्पादित सामानों और कई अन्य क्षेत्रों में अमेरिका से बड़ी मात्रा में खरीदारी के लिए चीन अपने कानूनों में संरचनात्मक बदलाव को राजी हो गया है।' वहीं, वैंग ने कहा कि समझौते के तहत बौद्धिक संपदा संरक्षण, तकनीकी हस्तांतरण समेत कई मुद्दों पर व्यापक सहमति बनी है।

इससे पहले अमेरिका की ओर से कहा गया था कि दोनों देश प्राथमिक व्यापार समझौते के निकट हैं और जल्द ही इस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस दौरान अमेरिका ने चीन की 16,000 करोड़ डॉलर की वस्तुओं पर बढ़ा हुआ शुल्क वापस लिए जाने की बात भी कही थी। बदले में चीन ने अमेरिका की कृषि उपज खरीदने को लेकर हामी भरी थी।


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