तीन बार विफल होने के बाद आखिरकार सीरिया में मानवीय सहायता भेजने का प्रस्ताव UNSC में पारित
वर्षों से युद्ध की आग में सुलग रहे सीरिया को अगले वर्ष जुलाई तक मानवीय आधार पर सहायता जारी रखने का प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पारित हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र (आईएएनएस)। वर्षों से विभिन्न देशों के लिए युद्ध भूमि बने पश्चिमोत्तर सीरिया में तुर्की के रास्ते मानवीय राहत पहुंचाने के लिए एक अहम प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पारित हो गया है। इस प्रस्ताव (2533) के माध्यम से बाब अल-हावा बॉर्डर क्रॉसिंग से होकर अगले एक वर्ष तक भोजन, दवाओं और अन्य जीवनरक्षक सेवाओं को जरूरतमंदों तक भेजा जाना संभव हो सकेगा। गौरतलब है कि बाब अल-हावा इदलिब तक मानवीय राहत पहुंचाने के लिए एक अहम पड़ाव है। आपको यहां पर ये भीबता दें कि इसी वर्ष जनवरी में सुरक्षा परिषद में चली लंबी वार्ता के बाद सीमा-पार से राहत वितरण के लिए अनुमति मिल गई थी। लेकिन ये अनुमति केवल अल्पकाल के लिए ही थी जो 10 जुलाई को खत्म भी हो गई थी।
इसके बाद इसको बढ़ाने और जीवन रक्षक मदद जारी रखने के लिए प्रस्ताव पारित किए जाने का तीसरा प्रयास भी बीते सप्ताह पहले विफल हो गया था। सुरक्षा परिषद के 15 में से 13 सदस्यों ने इस प्रस्ताव के पक्ष मे मत दिया लेकिन चीन और रूस द्वारा विरोध में मतदान किए जाने से यह प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सका था। दोनों देश सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं और उनके पास वीटो करने का अधिकार है। सुरक्षा परिषद की तरफ से ये बैठक वीडियो टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी जिसमें बेल्जियम और जर्मनी द्वारा पेश एक प्रस्ताव के मसौदे पर चर्चा हुई थी।
वर्तमान में सुरक्षा परिषद में पारित किए गए प्रस्ताव 2533 का मसौदा भी जर्मनी और बेल्जियम ने साझा रूप से तैयार किया था। जर्मनी के विदेश मंत्री हायको माश ने मानवीय सहायता जारी रखने की समयसीमा बढ़ाए जाने पर राहत जाहिर की है। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद कहा गया है कि ये सीरिया के लाखों लोगों के लिए अच्छी खबर है कि आखिरकार सुरक्षा परिषद में हमारे समझौते के प्रस्ताव पर सहमति बन गई। इस प्रस्ताव के पक्ष में सुरक्षा परिषद के 12 सदस्यों – जर्मनी, बेल्जियम, एस्टोनिया, फ्रांस, इंडोनेशिया, निजेर, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनेडाइंस, दक्षिण अफ्रीका, ट्यूनीशिया, ब्रिटेन, अमेरिका और वियतनाम ने मतदान किया।
चीन, डोमिनिकन गणराज्य और रूस मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे। वोटिंग के बाद जर्मन विदेश मंत्री ने अपने बयान में कहा कि सुरक्षा परिषद में मानवीय जरूरतों और जमीनी स्तर पर काम कर रहे राहतकर्मियों की मांग को ध्यान में रखकर ही इस मुद्दे पर चर्चा हुई। उनके मुताबिक इस वार्ता और बहस के बाद एक समझौते के रूप में प्रस्ताव पेश किया गया ताकि मानवीय राहत जारी रखने की इस व्यवस्था को बचाया जा सके।
सुरक्षा परिषद में मतदान के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने अपने बयान में प्रस्ताव के पारित होने पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि इसके बाद मानवीय राहत जारी रखने की अनुमति मिलने से पश्चिमोत्तर इलाकों में जुलाई 2021 तक 28 लाख जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हिंसा व अस्थिरता से जूझ रहे सीरिया में लाखों लोगों के लिए मानवीय सहायता जीवनरेखा के समान है। यूएन प्रमुख ने हिंसा में शामिल सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप प्रभावित लोगों तक मानवीय राहत पहुंचाने का रास्ता खुला रखने की अपील दोहराई है।
आपको बता दें कि इससे पहले सुरक्षा परिषद के लिए अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा था कि बाब अल-सलाम और बाब अल-हावा से होकर दी जा जाने वाली मानवीय सहायता रिकॉर्ड स्तर पर संचालित हो रही है। यूएन महासचिव की तरफ से रिपोर्ट जारी करते हुए कहा गया था कि वैश्विक महामारी कोविड-19 से उपजे हालात में इसका दायरा और भी बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे लोगों तक ये मदद लंबे समय तक पहुंच सके। उन्होंने दोनों क्रॉसिन्ग प्वाइंट से मानवीय राहत की अनुमति को 12 महीनों के लिए बढ़ाए जाने की सिफारिश की थी। वर्तमान में जो प्रस्ताव सुरक्ष परिषद में पारित किया गया है उसमें इस सिफारिश को मान लिया गया है।