पाकिस्तान में धर्म की स्वतंत्रता का बहुत महत्वपूर्ण और लंबा मुद्दा: यूएनपीओ के महासचिव
जिनेवा में अनरिप्रेजेंटेड नेशन्स एंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (यूएनपीओ) के महासचिव राल्फ बुनचे ने कहा पाकिस्तान में धर्म की स्वतंत्रता का बहुत महत्वपूर्ण और लंबा मुद्दा रहा है।
जिनेवा, एएनआइ। पाकिस्तान अब मानवाधिकार के मुद्दे पर अतंरराष्ट्रीय स्तर पर घिरता नजर आ रहा है। जिनेवा में अनरिप्रेजेंटेड नेशन्स एंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (यूएनपीओ) के महासचिव राल्फ बुनचे ने कहा, आज मैं पाकिस्तान, खासकर सिंध में धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में बोल रहा था। मैंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पाकिस्तान में धर्म की स्वतंत्रता का बहुत महत्वपूर्ण और लंबा मुद्दा रहा है।
राल्फ बुनचे ने बताया कि पिछले साल नवंबर में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियमों के तहत विशेष चिंता वाले देश के रूप में नामित किया, जो इसे धार्मिक स्वतंत्रता के संदर्भ में कुछ बेहद गंभीर राज्यों की साथ में रखता है। इसमें कहा गया कि धार्मिक अतिवाद और पाकिस्तान में हो रहे उत्पीड़न के मामलों की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
बलदेव ने सुनाई अल्पसंख्यकों पर हो रही जुल्म की दास्तां
बता दें कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की पोल खोलने और खुद इसका शिकार होने पर बलदेव कुमार ने भारत में राजनीतिक शरण की मांग की है। वह पिछले दिनों भारत आ गए थे और अब वह कह रहे हैं कि वापस पाकिस्तान नहीं जाएंगे। बलदेव कुमार ने कहा कि पाकिस्तान के गुरुद्वारों में ग्रंथी भी आइएसआइ के इशारे पर भर्ती होते हैं। करतारपुर कॉरिडोर भारत के सिखों के लिए अच्छी पहल है, लेकिन पाकिस्तान की फितरत को देखते हुए इसमें साजिश दिखाई दे रही है। बलदेव ने भारतीय सिखों को भी संदेश दिया। किसी धर्म विशेष का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि भारत के सिखों को यह समझना चाहिए कि जो लोग हमारे गुरुओं के नहीं हुए, वे हमारे क्या होंगे। बलदेव ने कहा कि गुरुद्वारों में पाठ और अरदास के दौरान बिजली सप्लाई बंद करने वाली पाकिस्तानी कौम अल्पसंख्यकों को निम्न दर्जे के नागरिक के तौर पर देखती है।