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भारतीय शोधकर्ताओं ने की तैयारी, अब रोबोटिक छड़ी बन सकती है बुजुर्गों का सहारा

भारतीय वैज्ञानिकों ने बुजुर्गों के लिए रोबोटिक छड़ी बनाई है। रोबोटिक डिवाइस बनाई है जो बुजुर्गों के लिए बहुत काम आएगा।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 10:39 AM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 10:39 AM (IST)
भारतीय शोधकर्ताओं ने की तैयारी, अब रोबोटिक छड़ी बन सकती है बुजुर्गों का सहारा
भारतीय शोधकर्ताओं ने की तैयारी, अब रोबोटिक छड़ी बन सकती है बुजुर्गों का सहारा

न्यूयॉर्क,प्रेट्र। जिन लोगों को चलने में परेशानी होती है या चलने के लिए किसी सहारे की जरूरत होती है उनके लिए एक भारतीय वैज्ञानिक के नेतृत्व शोधकर्ताओं की टीम ने एक विशेष डिवाइस तैयार की है। शोधकर्ताओं ने पारंपरिक छड़ी को रोबोटिक डिवाइस का रूप दिया है। अब बुजुर्ग और खास विकार वाले लोग इस डिवाइस को केवल छूने भर से आसानी से चल-फिर सकेंगे।

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अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया के प्रोफेसर सुनील अग्रवाल के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने पहली बार एक ऐसी रोबोटिक डिवाइस बनाई जो छड़ी का काम करेगी, जिसे स्पर्श करने मात्र से वह व्यक्ति से साथ-साथ चल पड़ती है। आइईईई रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, चलने-फिरने में संतुलन बनाए रखने के लिए यह डिवाइस किसी साथी या छड़ी का जैसा आभास कराएगी। प्रोफेसर अग्रवाल, जो यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया में डाटा साइंस इंस्टीट्यूट के सदस्य भी हैं, ने कहा कि रोबोटिक छड़ी खासतौर पर बुजुर्गो के लिए फायदेमंद हो सकती है। क्योंकि इसे न तो छड़ी की तरह उठाने की जरूरत है न ही किसी भी तरह से इसके उपयोग में हमारी ऊर्जा खत्म होती है।

उन्होंने कहा कि इसे बनाने के लिए हमने एक केन (छड़ी) को घूमने वाले रोबोट से जोड़ा है, जो व्यक्ति के साथ-साथ आगे बढ़ती जाती है। अग्रवाल ने कहा कि इस पर एक सेंसर लगा होता है, जो व्यक्ति की लंबाई और उसके चलने के तरीके को भांप कर स्वयं भी उसी लय और गति के साथ आगे बढ़ता जाता है। शोधकर्ताओं ने इस रोबोटिक केन को ‘कैनिन’ नाम दिया है।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोएल स्टीन ने कहा कि यह लोगों को चलने में सहायता करने का एक नया तरीका है। खासतौर पर यह ऐसे लोगों के लिए कारगर सिद्ध हो सकता है जो किसी विकार के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हो गए हैं। शोधकर्ताओं ने इस डिवाइस के परीक्षण के लिए एक वचरुअल इन्वायरमेंट तैयार किया और लोगों को रोबोटिक केन के सहारे विभिन्न प्रकार के वातारवरण में चलाया।

इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि विपरीत परिस्थिति में भी डिवाइस ने लोगों को सहारा दिया और उन्हें उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाया। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया के प्रोफेसर सुनील अग्रवाल ने दावा किया है ‘हम अपने पहले परीक्षण में सफल हुए हैं। अब जल्द ही दूसरे चरण का परीक्षण भी किया जाएगा, जिसमें बुजुर्गो और खास विकारों वाले लोगों को इसकी मदद से चलाया जाएगा।’ उन्होंने उम्मीद जताई है कि रोबिटिक छड़ी दूसरे चरण के परीक्षण में भी सफल रहेगी और आने वाले समय में जरूरत मंद लोग इसका प्रयोग कर पाएंगे।

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