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एच-1बी वीजा पर अमेरिकी व्यापार संस्थाएं पहुंचीं कोर्ट, ट्रंप के आदेश को पलटने की मांग

अमेरिका की पांच शीर्ष व्यापार संस्थाएं भी एच-1बी समेत तमाम नॉन-इमीग्रेशन वीजा पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक हालिया आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंच गई हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 07:21 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 02:15 AM (IST)
एच-1बी वीजा पर अमेरिकी व्यापार संस्थाएं पहुंचीं कोर्ट, ट्रंप के आदेश को पलटने की मांग
एच-1बी वीजा पर अमेरिकी व्यापार संस्थाएं पहुंचीं कोर्ट, ट्रंप के आदेश को पलटने की मांग

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिका की पांच शीर्ष व्यापार संस्थाएं भी एच-1बी समेत तमाम नॉन-इमीग्रेशन वीजा पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक हालिया आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंच गई हैं। इन संस्थाओं ने मुकदमा दायर कर ट्रंप के आदेश को चुनौती दी है। ट्रंप के इस आदेश के खिलाफ 174 भारतीयों का एक समूह भी मुकदमा दायर कर चुका है। एच-1बी वीजा भारतीय आइटी पेशेवरों में खासा लोकप्रिय है।

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यह दी दलील 

राष्ट्रपति ट्रंप ने गत 22 जून को एच-1बी समेत कई वीजा श्रेणियों पर साल के आखिर तक रोक लगाने का एलान किया था। उन्होंने दलील दी थी कि वे महामारी के दौर में अमेरिकियों की नौकरी छीन रहे हैं। यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, नेशनल एसोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चर्स, नेशनल रिटेल फेडरेशन, टेकनेट और इंट्रैक्स की ओर से दाखिल किए गए मुकदमे में कहा गया है कि विदेशी कामगारों को वीजा नहीं देना अमेरिकी कारोबारों को प्रतिमा से वंचित करने वाला कदम है।

पाबंदियों को पलटने की मांग

यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के सीईओ थॉमस दोनोह्यू ने बताया कि मुकदमे के जरिये इस तरह की गैरकानूनी पाबंदियों को पलटने की मांग की गई है। इससे पहले 174 भारतीयों ने ट्रंप के इस आदेश के खिलाफ कोलंबिया की जिला अदालत में मुकदमा दायर किया था। इन्होंने भी एच-1बी या एच-4 वीजा जारी करने पर पाबंदी लगाने या नए एच-1बी वीजा धारकों को देश में प्रवेश करने से रोकने वाले आदेश को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की है।

क्या है एच-1बी वीजा

एच-1बी वीजा के आधार पर अमेरिकी कंपनियां उच्च कुशल विदेशी कामगारों को रोजगार देती हैं। हर साल विभिन्न श्रेणियों में 85 हजार वीजा जारी किए जाते हैं। जबकि एच-4 वीजा एच-1बी वीजा धारकों के जीवनसाथी को जारी होते हैं।

ग्रीन कार्ड के लिए 195 साल तक का इंतजार

अमेरिका के शीर्ष सांसद माइक ली ने बताया कि ग्रीन कार्ड के लिए भारतीयों का बैकलॉग इतना बढ़ गया है कि इस कार्ड को पाने के लिए 195 साल तक इंतजार करना पड़ सकता है। उन्होंने अपने साथी सांसदों से आग्रह किया है कि वे इस समस्या के समाधान के लिए कोई विधायी प्रस्ताव पारित करें। यह कार्ड मिलने से अमेरिका में स्थायी रूप से बसने और काम करने की इजाजत मिल जाती है। अमेरिका में काम कर रहे करीब छह लाख भारतीयों को ग्रीन कार्ड का इंतजार है।


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