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बाइडन ने राष्‍ट्रपति बनते ही पलटा ट्रंप का फैसला, पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होगा अमेरिका

भारत समेत विश्‍व के कई देश पेरिस जलवायु समझौते में शामिल हैं। अमेरिका भी इसका सदस्‍य था लेकिन पिछले साल के अंत में राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इससे बाहर होने की घोषणा कर दी थी जिससे लोगों को काफी हैरानी हुई थी।

By TilakrajEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 07:31 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 07:42 AM (IST)
बाइडन ने राष्‍ट्रपति बनते ही पलटा ट्रंप का फैसला, पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होगा अमेरिका
अमेरिका फिर से जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होगा

वाशिंगटन, रायटर/एएनआइ। जो बाइडन ने राष्‍ट्रपति की शपथ ग्रहण करते ही यह ऐलान कर दिया कि अमेरिका फिर से जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होगा। बाइडन से उम्‍मीद की जा रही थी कि वह डोनाल्‍ड ट्रंप द्वारा लिए गए कुछ चौंकाने वाले फैसलों को वापस लेंगे, लेकिन इतनी जल्‍द इसका शायद ही किसी को अंदाजा था। राष्ट्रपति बाइडन के ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका फिर से पेरिस जलवायु समझौते में वापसी की योजना बना रहा है। भारत समेत विश्‍व के कई देश पेरिस जलवायु समझौते में शामिल हैं।

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अमेरिका भी इसका सदस्‍य था, लेकिन पिछले साल के अंत में राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इससे बाहर होने की घोषणा कर दी थी, जिससे लोगों को काफी हैरानी हुई थी। पेरिस जलवायु समझौते पर साल 2015 में हस्‍ताक्षर किए गए थे।

राष्ट्रपति बनते ही जो बाइडेन ने बुधवार को पेरिस जलवायु समझौते में अमेरिका को फिर से शामिल करने के लिए एक आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। बताया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन सुरक्षा को कमजोर करने वाले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यों की समीक्षा करने के लिए एक आदेश भी तत्‍काल प्रभाव से शामिल किया जाएगा। बाइडन का कहना है कि हम एक तरह से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने जा रहे हैं, जो हमने अब तक नहीं किया है।

उल्‍लेखनीय है कि फ्रांस की राजधानी पेरिस में 12 दिसंबर 2015 को 196 देशों के प्रतिनिधियों ने पेरिस जलवायु समझौते के मसौदे पर सहमति जताते हुए इसे अपनाया था। लगभग एक साल बाद 3 नवम्बर 2016 को अमेरिका ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन के दौरान पेरिस समझौते को स्वीकार किया गया था। वहीं असके बाद आए राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन की ओर से अगस्त 2017 में औपचारिक रूप से इस समझौते से बाहर होने की बाक कही गई थी। भारत ने अप्रैल 2016 में औपचारिक रूप से पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। पेरिस जलवायु समझौते के तहत भारत ने वादा किया था कि वह 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत की कमी लाएगा।


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