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5 बिंदुओं में समझ‍िए बाइडन युग में भारत-अमेरिका के संबंधों की केमेस्‍ट्री, US के लिए पाक से ज्‍यादा क्‍यों अहम है भारत

ट्रंप के हटने के बाद यह सवाल उठना लाजमी था कि क्‍या भारत-अमेरिका के संबंध पूर्व की तरह मधुर बने रहेंगे। आज जब बाइडन और मोदी की पहली मुलाकात हुई तो यह सवाल उठ रहे हैं। आखिर दोनों देशों के संबंधों की बुनियाद कहां हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 01:35 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 03:57 PM (IST)
5 बिंदुओं में समझ‍िए बाइडन युग में भारत-अमेरिका के संबंधों की केमेस्‍ट्री, US के लिए पाक से ज्‍यादा क्‍यों अहम है भारत
5 बिंदुओं में समझ‍िए बाइडन युग में भारत-अमेरिका के संबंधों की केमस्‍टी। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, आनलाइन डेस्‍क। अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव के बाद जो बाइडन अमेरिका के नए राष्‍ट्रपति बने। उस वक्‍त भी यह सवाल खड़ा हुआ था कि बाइडन प्रशासन और भारत के बीच किस तरह के रिश्‍ते होंगे। यह बहस इसलिए भी अहम थी क्‍योंकि पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गहरी दोस्‍ती थी। इस दोस्‍ती का लाभ अमेरिका और भारत के संबंधों में भी दिखा। इसलिए ट्रंप के हटने के बाद यह सवाल उठना लाजमी था कि क्‍या भारत-अमेरिका के संबंध पूर्व की तरह मधुर बने रहेंगे। आज जब बाइडन और मोदी की पहली मुलाकात हुई तो यह सवाल उठ रहे हैं। आखिर दोनों देशों के संबंधों की बुनियाद कहां हैं। क्‍या आज भारत अमेरिका की जरूरत है। कैसे रहेंगे अमेरिका और भारत के रिश्‍ते। आइए जानते हैं विशेषज्ञ की राय।

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1- उदारीकरण के बाद भारत-अमेरिका के संबंधों में बड़ा बदलाव

प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि देश में उदारीकरण के बाद भारत-अमेरिका के संबंधों में बड़ा बदलाव आया है। यानी 1990 के दशक के बाद दोनों देशों के संबंधों में एक नया आयाम जुड़ा है। अमेरिका और भारत के बीच संबंध मूल रूप से आपसी विश्‍वास और लाभों पर आधारित है। बाइडन काल में यह संबंध और भी बेहतर होंगे। उन्‍होंने कहा इसका संकेत बाइडन ने राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान ही दिया था। भारत के संदर्भ में कुछ मामलों में बाइडन अपने पूर्ववर्ती ट्रंप से ज्‍यादा उदार हैं। उन्‍होंने चुनाव प्रचार के दौरान स्‍पष्‍ट किया था वह ट्रंप द्वारा लगाए गए एच-1 वीजा पर अस्‍थाई निलंबन को हटा देंगे। प्रो. पंत ने कहा कि यह इस बात के संकेत थे कि बाइडन अगर चुनाव जीत कर आते हैं तो भारत के साथ उनके रिश्‍ते बेहतर बने रहेंगे। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि बाइडन भारत के लिए बेहतर होंगे।

2- बाइडन के काम आएगा ओबामा के कार्यकाल का अनुभव

प्रो. पंत ने कहा कि भले ही राष्‍ट्रपति बाइडन व्यक्तिगत संबंधों को बढ़ाने के प्रति ज्यादा उत्सुक न हों, जिसे प्रधानमंत्री मोदी पसंद करते हैं। बाइडन दो देशों के संबंधों को ज्‍यादा तरजीह देते हैं। उनकी दृष्टि में सरकार का सरकार से संबंध ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। उन्‍होंने कहा कि बाइडन को ओबामा के साथ दो बार उप राष्‍ट्रपति के रूप में काम करने का अनुभव रहा है। यह बाइडन को दुनिया भर में अपने सहयोगियों और अन्‍य देशों के साथ स्थिर और परिपक्‍व रिश्‍ते बनाने की क्षमता प्रदान करता है। ओबामा के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के मुधर संबंध रहे हैं। इसका प्रभाव बाइडन के कार्यकाल में दिखना शुरू हो गया है। उन्‍होंने कहा कि दोनों नेताओं की व्‍यक्तिगत मुलाकात इस बात काे प्रमाणित करती है कि दोनों देशों के संबंध मधुर होंगे। प्रो. पंत का कहना है कि डेमोक्रेटिक शासन में भारत-अमेरिका के संबंधों में मधुरता कायम रही है। राष्‍ट्रपति चुनाव के वक्‍त भी यह कहा गया था कि पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के साथ प्रधानमंत्री मोदी के करीबी संबंध बाइडन के कार्यकाल में विदेश नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिसमें भारत समेत अन्य मित्र देशों के साथ मिलकर काम करने की नीति रही है।

3- बाइडन युग में भी दोनों देशों के संबंधों में मधुरता कायम रहेगी

प्रो. पंत ने कहा कि अमेरिका के व्‍हाइट हाउस में दोनों नेताओं की मुलाकात जिस गर्मजोशी से हुई और जिन विषयों पर हुई, उससे यह बात प्रमाणित हो जाती है कि दोनों देशों के संबंधों में मधुरता कायम रहेगी। पूर्व राष्‍ट्रपति ट्रंप की तरह बाइडन भी भारत में अनुच्छेद 370 हटाने, पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियां, चीन के मामले में और सुरक्षा जैसे कई मुद्दों पर भारत के साथ खड़े रहेंगे। बाइडन अपनी न‍ीतियों से यह लगातार संकेत दे रहे हैं कि चीन के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ खड़ा है। हालांकि, चीन के प्रति बाइडन की नीति ट्रंप की तरह से आक्रामक नहीं है। ऐसे में यह उम्‍मीद की जा सकती है कि बाइडन भी अमेरिकी विदेश नीति के निर्धारित सिद्धांतों से विचलित नहीं होंगे।

4- अमेरिका ने माना, पाक‍िस्‍तान में आतंकवाद को पोषण

अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव के वक्‍त यह उम्‍मीद की जा रही थी कि बाइडन पाकिस्‍तान के साथ संबंधों को एक नया आयाम दे सकते हैं। लेकिन उनके शपथ लेने के नौ म‍हीनों में इस विचार में काफी बदलाव आया है। अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पाक ने तालिबान को जिस तरह से मदद की है उससे पाकिस्‍तान बेनकाब हुआ है। भारत की यह बात सिद्ध हुई है कि पाकिस्‍तान में आतंकवाद का पोषण हो रहा है। ऐसे में यह उम्‍मीद की जा सकती है कि बाइडन प्रशासन पाकिस्‍तान पर भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बंद करने का दबाव डाल सकता है। प्रो पंत ने कहा कि उप राष्‍ट्रपति कमला हैरिस और मोदी की वार्ता में यह बात साफ दिखी। हैर‍िस ने पाकिस्‍तान को आतंकवाद को लेकर जमकर कोसा है।

5- बाइडन ने दोनों देशों के संबंधों की बताई बुनियाद

प्रो. पंत ने कहा कि बाइडन ने दोनों देशों के साझा मूल्‍यों पर जिस तरह प्रकाश डाला है, इसके संकेत गहरे हैं। हालांकि, इस दौरान बाइडन ने दोनों देशों के बीच हो रहे व्यापार का उल्‍लेख नहीं किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका-भारत की साझेदारी लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित है। बाइडन ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्‍यों को बनाए रखने की हमारी संयुक्‍त साझेदारी है। उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों के विविधता को लेकर हमारी संयुक्त प्रतिबद्धता और 40 लाख भारत-अमेरिकी लोगों के पारिवारिक संबंधों में निहित है, जो हर रोज अमेरिका को और मजबूत बनाते हैं। बाइडन ने मोदी के साथ वार्ता में कहा कि अमेरिका-भारत संबंध दुनिया की भयंकर चुनौतियों को हल करने की शक्ति रखते हैं। उन्‍होंने मोदी को याद दिलाते हुए कहा कि वर्ष 2006 में उन्‍होंने कहा था कि 2020 में भारत-अमेरिका के संबंध दुनिया के दो सबसे करीबी देशों में से एक है। इसका संकेत साफ है कि दोनों देशों के संबंधों में मधुरता कायम रहेगी।  


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