Move to Jagran APP

एक्‍शन प्‍लान पर भारी पड़ी ये समस्‍या, जलवायु परिवर्तन पर निरर्थक रही दुनिया का पहल

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त्‍ राष्‍ट्र की यह रिपोर्ट आप को चौंका सकती है। आइए जानते हैं रिपोर्ट की अनछुए पहलू।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 01:57 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 01:57 PM (IST)
एक्‍शन प्‍लान पर भारी पड़ी ये समस्‍या, जलवायु परिवर्तन पर निरर्थक रही दुनिया का पहल
एक्‍शन प्‍लान पर भारी पड़ी ये समस्‍या, जलवायु परिवर्तन पर निरर्थक रही दुनिया का पहल

संयुक्‍त राष्‍ट्र, एजेंसी । जलवायु परिवर्तन किसी एक भुखंड की समस्‍या नहीं है, बल्कि यह एक जगत समस्‍या बन चुकी है। इस समस्‍या के कारण हम खुद हैं। इसलिए इसका निदान भी हम ही हैं। इसे रोकने की पहल हुई, लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं रहा। इसके चलते यह समस्‍या और चिंताजनक हालत में पहुंच चुकी है। फ‍िलहाल, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त्‍ राष्‍ट्र की यह रिपोर्ट आप को चौंका सकती है। आइए जानते हैं रिपोर्ट की अनछुए पहलू।    

loksabha election banner

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए हो रही तमाम कोशिशों के बावजूद वर्ष 2015-2019 के बीच का कालखंड सबसे गर्म रहने वाला है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में समाप्‍त होने वाला पांच वर्ष का कालखंड वैश्विक औसत तापमान के आधार पर सबसे गर्म रहने वाला है। दुनिया के लिए यह चौंकाने एंव चिंतित करने वाली खबर है। खास बात यह है कि यह रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है, जब सोमवार को यानी आज संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण शिखर सम्‍मेलन हो रहा है। इसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि हिस्‍सा ले रहे हैं।

महासचिव एंटोनियो गुतरेस ने भी सभी देशों को ग्रीन हाउस गैस उत्‍सर्जन कम करने के लक्ष्‍य को बढ़ाने के लिए कहा है। और 2019 में समाप्त होने वाला पांच वर्ष का कालखंड वैश्विक औसत तापमान के आधार पर सबसे गर्म रहने वाला है। संयुक्त राष्ट्र में सोमवार को होने वाले जलवायु संबंधी महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन से ठीक पहले यह रिपोर्ट आयी है।   

18वीं सदी में पहली बार सहेज कर रखा गया तापमान का रिकॉर्ड 

1850 से पूर्व तापमान के रिकार्ड रखने की प्रथा नहीं थी। 17वीं सदी इससे पूरी तरह से अनजान थी। 18वीं सदी में भी जलवायु परिवर्तन जैसे किसी शब्‍द की उत्‍पत्ति नहीं हुई थी। दुनिया में औद्योगिक क्रांति के समय लोगों को शायद ही इस बात का इल्‍म रहा होगा कि दुनिया में कभी इस तरह की समस्‍या से सामना करना पड़ सकता है। लेकिन 19वीं सदी में दुनिया के समक्ष यह कोई समस्‍या नहीं थी। 20वीं सदी में दुनिया की नजर ग्‍लोबल वार्मिंग पर गई। दुनिया में बैठकों का दौर शुरू हुआ। वैज्ञानिक यह भांप चुके थे कि भविष्‍य में यह एक बड़ी समस्‍या बनेगी। हुआ भी यही 21वीं सदी में यह दुनिया की ज्‍वलंत समस्‍या बन चुकी है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक तापा रिपोर्ट के अनुसार  2015-2019 का तापमान औद्योगिक क्रांति से पहले के मुकाबले 1.1 डिग्री सेल्सियस ज्‍यादा होगा। जबकि वर्ष 2011-2015 के काल खंड से 0.2 डिग्री सेल्सियस गर्म होगा। वर्ष 1850 से तापमान का रिकाॅर्ड रखा जाने लगा है। पिछले चार सालों में तब से अब तक सबसे ज्‍यादा गर्म रहे हैं।

चिंता जनक स्थिति में पहुंचा कार्बन उत्‍सर्जन

संयुक्‍त्‍ राष्‍ट्र की हालिया रिपोट बताती है कि जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में जितना काम हो रहा है और जितने की जरूरत है उसमें बड़ा अंतर है। कार्बन डाईआक्‍साइड में गिरावट की बजाय वर्ष 2018 में यह दो फीसद की वृद्धि के साथ अब तक शीर्ष स्‍तर 37 अरब टन पर पहुंच गया है। वर्ष 2015 में प‍ेरिस समझौते के तहत देशों को कार्बन का उत्‍सर्जन की सीमा तय करने तथा तापमान वृद्धि को 1.5-2 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखने का संकल्‍प लिया गया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.