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माली के हालात पर UN की पैनी नजर, फ्रांस ने की राष्ट्रपति को तत्काल छोड़ने की मांग

संयुक्त राष्ट्र और फ्रांस की तरफ से माली के हालात को नियंत्रण में करने की लगातार की जा रही कोशिशो का कोई फायदा नहीं हुआ।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 09:54 AM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2020 09:54 AM (IST)
माली के हालात पर UN की पैनी नजर, फ्रांस ने की राष्ट्रपति को तत्काल छोड़ने की मांग
माली के हालात पर UN की पैनी नजर, फ्रांस ने की राष्ट्रपति को तत्काल छोड़ने की मांग

यूएन, एजेंसियां। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पश्चिम अफ्रीकी देश माली के घटनाक्रमों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। इससे पहले देश में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में विद्रोही सैनिकों ने मंगलवार को राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता के आवास का घेराव कर लिया और हवा में गोलीबारी करते हुए उन्हें और प्रधानमंत्री बुबौ सीस को बंधक बना लिया था। यूएन ने सैन्य विद्रोह की कड़ी निंदा की थी। इसके साथ ही माली में संयुक्त राष्ट्र मिशन भी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। वहीं फ्रांस ने राष्ट्रपति इब्राहिम की तत्काल रिहाई की मांग की है। माली फ्रांस का उपनिवेश रहा है। साल 2012 में भी यहां तख्तापलट हुआ था। 

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मंगलवार आधी रात से ठीक पहले राष्ट्रपति कीता ने सरकारी टेलीविजन 'ओआरटीएम' पर प्रसारित एक संक्षिप्त संबोधन में अपने इस्तीफे का एलान किया। उन्होंने कहा कि उनका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से लागू होगा। हालांकि अभी उनके कार्यकाल के तीन साल बाकी थे। कीता ने कहा, 'मेरी इच्छा है कि मुझे सत्ता में बनाए रखने के लिए कोई खून नहीं बहाया जाए। मैंने पद छोड़ने का फैसला कर लिया है।' उन्होंने सरकार और नेशनल असेंबली यानी संसद को भंग करने का भी एलान किया। कीता को 2013 में लोकतांत्रिक तरीके से राष्ट्रपति चुना गया था और उन्हें पूर्व उपनिवेशवादी फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों का व्यापक समर्थन प्राप्त था। पांच साल बाद उन्हें फिर इस पद के लिए चुना गया।

आठ साल पहले भी तख्तापलट

सैनिकों के शस्त्रागार से हथियारों को जब्त कर लिया है।  सैनिक बामको की सड़कों पर घूमते नजर आए जिससे यह और स्पष्ट हो गया कि राजधानी पर अब उनका नियंत्रण है। हालांकि सैनिकों की ओर से तत्काल कोई बयान नहीं आया है। यह सैनिक उसी बैरक में मौजूद हैं, जहां से आठ साल पहले तख्तापलट की घटना को अंजाम दिया गया था। पिछले तख्तापलट के बाद से ही माली में इस्लामी चरमपंथ बढ़ गया है। संयुक्त राष्ट्र और फ्रांस की तरफ से हालात को नियंत्रण में करने की लगातार कोशिश की गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

भारतीय दूतावास के सभी सदस्य और नागरिक सुरक्षित

माली स्थित भारतीय राजदूत अंजनी कुमार सहाय ने कहा है कि दूतावास के सभी सदस्य और भारतीय नागरिक सुरक्षित हैं। सभी को घर लौटने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा, 'हम भारतीयों के संपर्क में हैं, उन्हें सतर्क रहने और अपने घरों से बाहर नहीं निकलने को कहा गया है।'

हम सत्ता के भूखे नहीं: विद्रोही

विद्रोही सैनिकों के प्रवक्ता कर्नल इस्माइल वेग ने कहा कि देश को अराजकता से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है। वेग ने कहा, 'हम सत्ता के भूखे नहीं हैं, लेकिन देश में स्थायित्व जरूरी है।' देश में राजनीतिक परिवर्तन के लिए उन्होंने सिविल लिबर्टी और राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है। हालांकि अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने उनकी इस पहल का जवाब नहीं दिया है। प्रवक्ता ने तय समय में चुनाव कराने की भी बात कही है। उधर, 15 देशों के संगठन रीजनल इकोनॉमिक कम्यूनिटी ऑफ वेस्टर्न अफ्रीका (ईसीओडब्ल्यूएएस)ने तख्ता पलट के तुरंत माली को निष्कासित कर दिया है। संगठन ने लोकतंत्र की बहाली के लिए माली में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की भी बात कही है। यूरोपियन यूनियन इंडस्ट्री कमिश्नर थिएरी ब्रेटन ने कहा है कि वे तय समय में चुनाव कराने का दबाव डालेगा।


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