बच्चो में एचआईवी संक्रमण की रफ्तार उम्मीद से कम, यूएन की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
बच्चों में एचआईवी के मामले में उम्मीद के मुताबिक कमी न होने पर यूएन की रिपोर्ट में चिंता जताई गई है।
न्यूयॉर्क (संयुक्त राष्ट्र)। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनएड्स ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि एचआईवी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में प्रगति के बाद भी बच्चों के मामले में इसकी रोकथाम उम्मीद से कम ही रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरल व सस्ते उपचार के बावजूद बच्चों का जीवन बचाया जा सकता है लेकिन इसके बावजूद इससे संबंधित बीमारियों से बच्चों की अनावश्यक रूप से मौत हो रही हैं। यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानयीमा ने कहा कि बच्चों में नए एचआईवी संक्रमणों की रोकथाम करने के बहुत सारे तरीके मौजूद हैं। उनके मुताबिक इस बीमारी से ग्रसित कई सारे बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं बहुत से दूसरे बच्चों को इस सुविधा से वंचित होते देखना किसी त्रासदी से कम नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसको किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि हजारों बच्चे अब भी एचआईवी से संक्रमित हैं और हर साल एड्स से संबंधित बीमारियों से बच्चों की मौतें हो रही हैं।अपनी इस रिपोर्ट में यूएनएड्स ने स्टार्ट फ्री, स्टे फ्री, एड्स फ्री लक्ष्य की दिशा में प्रगति का एक आकलन पेश किया है। आपको बता दें कि वर्ष 2016 में यूएनएड्स और एड्स के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति की आपातकालीन राहत योजना (PEPFAR) की रूपरेखा तैयार की थी।
इस रिपोर्ट को तीन अवधारणाओं के आधार पर तैयार किया गया है। ये हैं: शिशुओं को एचआईवी-मुक्त पैदा होने का अधिकार है, बच्चों, किशोरों और युवा महिलाओं को रोकथाम उपायों के जरिये एचआईवी से मुक्त रहने का हक है, और जो बच्चे व युवा वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें निदान, इलाज और देखभाल की सुविधाओं व सेवाओं की उपलब्धता का अधिकार है ताकि वे एड्स-मुक्त रह सकें।
सदस्य देशों ने इन लक्ष्यों के अनुरूप 2018 तक 14 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों में संक्रमण की दर 40 हजारर से कम करने और इस वर्ष 20 हजार से कम करने पर सहमति व्यक्त की थी। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में लगभग एक लाख 50 हजार बच्चों में संक्रमण मिला था। जबकि 2010 के बाद से 52 प्रतिशत की कमी देखी गई है, लेकिन फिर भी 2018 के लक्ष्य से ये चार गुना है।
एचआईवी के साथ जीने वाली 85 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को 2019 में एंटी-रैट्रोवाइरल उपचार (एआरवी) मिला। हालांकि रिसर्च से पता चलता है कि सभी को इन सेवाओं की उपलब्धता असमान है, यानि बच्चे अब भी संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। सभी देशों ने 2020 तक एचआईवी संक्रमित 14 लाख बच्चों को एण्टी-रैट्रोवाइरल उपचार मुहैया कराने का आहवान किया है। वर्ष 2019 में एंटी -रैट्रोवाइरल उपचार केवल 9 लाख 50 हजार बच्चों को ही मिल पाया था।