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भारतीय मूल की तुलसी 2020 में लड़ सकती हैं अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव

तुलसी के करीबी लोगों का कहना है कि क्रिसमस से पहले वह इस बारे में निर्णय ले सकती हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 05:19 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 10:15 AM (IST)
भारतीय मूल की तुलसी 2020 में लड़ सकती हैं अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव
भारतीय मूल की तुलसी 2020 में लड़ सकती हैं अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी गेबार्ड साल 2020 में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव लड़ने पर विचार कर रही हैं। तुलसी के करीबी और जाने-माने भारतवंशी डॉ संपत शिवांगी ने बीते शुक्रवार को लॉस एंजिलिस में एक कार्यक्रम के दौरान यह दावा किया। इस दौरान 37 वर्षीय तुलसी भी मौजूद थीं। शिवांगी ने इस कार्यक्रम में तुलसी का परिचय देते हुए कहा कि वह 2020 में अमेरिका की अगली राष्ट्रपति बन सकती हैं। उनके इस कथन का कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने उत्साह से स्वागत किया।

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इसके बाद तुलसी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव की होड़ में शामिल होने की ना तो पुष्टि की और ना ही इससे इन्कार किया। तुलसी के करीबी लोगों का कहना है कि क्रिसमस से पहले वह इस बारे में निर्णय ले सकती हैं। वह और उनकी टीम अपने चुनावी अभियान को प्रभावी बनाने के लिए अमेरिका में रह रहे भारतवंशियों समेत संभावित दानकर्ताओं से संपर्क कर रही है।

पहली हिंदू उम्मीदवार होंगी
तुलसी गेबार्ड अगर राष्ट्रपति चुनाव में उतरने की घोषणा करती हैं तो वह ह्वाइट हाउस की दौड़ में शामिल होने वाली पहली हिंदू उम्मीदवार होंगी। चुने जाने पर वह अमेरिका की सबसे युवा और पहली महिला राष्ट्रपति बन सकती हैं।

चौथी बार चुनी गई सांसद
अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के लिए पिछले हफ्ते हुए चुनाव में तुलसी फिर निर्वाचित हुई। यह उनका चौथा कार्यकाल है। वह साल 2012 से इस सदन की सदस्य हैं। वह अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय में काफी लोकप्रिय हैं।

गीता पर हाथ रखकर ली थी शपथ
तुलसी पहली अमेरिकी सांसद हैं जिन्होंने गीता पर हाथ रखकर संसद की सदस्यता की शपथ ली थी। वह डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रीय समिति की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। इस समय वह सदन की प्रभावशाली सशस्त्र सेवा समिति और विदेश मामलों की समिति की सदस्य हैं।

कौन हैं डॉ संपत शिवांगी
तुलसी के राष्ट्रपति चुनाव में उतरने का दावा करने वाले डॉ शिवांगी सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े हैं। शिवांगी ने उनके लिए उस समय भी चंदा जुटाया था जब वह 2012 में पहली बार संसद पहुंचने की दौड़ में शामिल हुई थीं।


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