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राष्‍ट्रपति ट्रंप का ईरान का दो टूक, तेहरान के साथ वार्ता के लिए प्रतिबंधों को नहीं उठाएगा US

अमेरिका ने साफ कर दिया कि वह वार्ता के दबाव में किसी तरह से रियायत देने नहीं जा रहा है। ट्रंप ने शनिवार को अंग्रेजी में बाद में फारसी में ट्वीट करके यह जानकारी दी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 03:04 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 03:04 PM (IST)
राष्‍ट्रपति ट्रंप का ईरान का दो टूक, तेहरान के साथ वार्ता के लिए प्रतिबंधों को नहीं उठाएगा US
राष्‍ट्रपति ट्रंप का ईरान का दो टूक, तेहरान के साथ वार्ता के लिए प्रतिबंधों को नहीं उठाएगा US

वाशिंगटन, एजेंसी । तेहरान और वाशिंगटन संघर्ष के बीच अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने दो टूक कहा कि ईरान पर प्रतिबंध जारी रहेगा। राष्‍ट्रपति ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है, जब ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि वह संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के साथ वार्ता करने के लिए इच्‍छुक है, लेकिन यदि वह अपने प्रतिबंधों का हटा ले। उनके इस बयान के बाद अमेरिका ने साफ कर दिया कि वह वार्ता के दबाव में किसी तरह से रियायत देने नहीं जा रहा है। ट्रंप ने शनिवार को अंग्रेजी में बाद में फारसी में ट्वीट करके यह जानकारी दी।

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गौरतलब है कि ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने रविवार को एक साक्षात्कार में कहा था कि प्रतिबंध हटाए जाने पर ईरान अभी भी अमेरिका के साथ बातचीत के लिए खुला है। बता दें कि तीन जनवरी केा इराक  की राजधानी बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्‍या के बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है। इसके बाद आत्‍मरक्षा के बहाने ईरान ने अमेरिकी सैन्‍य ठिकानो पर मिसाइल दागी। हालांकि इस हमले कोई अमेरिकी सैनिक हताहत नहीं हुआ। लेकिन इसे लेकर तनाव और बढ़ गया।

ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने की थी कार्रवाई 

बता दें कि गत वर्ष ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने बड़ी कार्रवाई की थी। ट्रंप प्रशासन ने ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जवाद जरीफ पर प्रतिबंध लगा दिया था। ट्रंप प्रशासन के इस कदम से ईरान के साथ बातचीत की संभावनाएं पूरी तरह धूमिल हो गई थी। अमेरिकी कार्रवाई का स्वागत करते हुए जरीफ ने कहा था कि इसका उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अमेरिका के कोषागार मंत्री स्टीवन मेंयूचिन ने कहा था कि ईरानी शासन को यह स्पष्ट संदेश देने वाला कदम है कि उसके हालिया कृत्य पूरी तरह अस्वीकार्य है। 

प्रतिबंध का यह पड़ेगा असर

दरअसल, ट्रंप प्रशासन के प्रतिबंध के चलते जरीफ की अमेरिका में अगर कोई संपत्ति होगी तो वह जब्त कर ली जाएगी। वह अमेरिका में दाखिल भी नहीं हो सकेंगे। वह अक्सर अमेरिका स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ईरानी मिशन का दौरा करते रहते हैं। इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि अमेरिका के साथ अगर बातचीत का कोई रास्ता खुलता है तो ईरान की ओर से कौन अगुआई करेगा ? वह 2013 से ईरान के विदेश मंत्री हैं।

ईरान के इन कृत्यों से बढ़ी तनातनी

अमेरिका ने ईरानी खतरे से निपटने के लिए पश्चिमी एशिया में विमानवाहक पोत और बमवर्षक विमान तैनात कर रखे हैं। हाल के महीनों में कई तेल टैंकरों पर हुए हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया गया था। ईरान ने गत जून में अमेरिका के एक निगरानी ड्रोन को मार गिराया था। इसके बाद ट्रंप ने ईरान पर हमले तक का आदेश दे दिया था, लेकिन अंतिम क्षणों में वह इससे पीछे हट गए थे। ईरान ने परमाणु करार का उल्लंघन करते हुए यूरेनियम संवर्धन भी तेज कर दिया है।

बहरहाल, इस पूरे तनाव की मूल वजह अगर वाकई परमाणु बम बनाने की ईरानी इच्छा है, जैसा कि प्रचारित किया जा रहा है, तो अमेरिका और परमाणु संपन्न अन्य देशों को सोचना पड़ेगा कि किसी और देश को परमाणु बम बनाने से रोकने के लिए क्या किया जा सकता है। हमने बना लिया है, लेकिन आपको नहीं बनाने देंगे का कुतर्क या जिद मनमानी और पक्षपात को दर्शाता है।


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