यूक्रेन पर दबाव डालने को ट्रंप प्रशासन ने रोकी सैन्य सहायता
संसद की स्वीकृति के बाद यह रोक कानून का उल्लंघन वाच डॉग
वाशिंगटन, रायटर। सीनेट में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा से पूर्व संसद की निगरानी समिति ने यूक्रेन की सैन्य सहायता पर नया रहस्योद्घाटन किया है। समिति ने कहा है कि व्हाइट हाउस ने संसद की स्वीकृति के बावजूद यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगा रखी है। यह कानून का उल्लंघन है।
ट्रंप को राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए सीनेट में पेश होने वाले महाभियोग प्रस्ताव के पीछे भी यूक्रेन से जुड़ा मामला है। संसदीय जांच में पता चला है कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की को फोन वार्ता में दबाव डालकर अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बिडेन के खिलाफ जांच कराने के लिए कहा था। संभावना है कि बिडेन इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के सामने डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार होंगे। इसी के आधार पर ट्रंप के खिलाफ निजी हित के लिए पद के दुरुपयोग का आरोप तय हुआ है।
दूसरा आरोप संसदीय जांच में बाधा डालने का है। प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को दोनों आरोपों पर अपने पारित प्रस्ताव का मसौदा सीनेट को भेज दिया है। माना जा रहा है कि 21 जनवरी को उस पर सीनेट में चर्चा हो सकती है। अमेरिका के इतिहास में यह तीसरे राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चर्चा होगी।
संसद की निगरानी समिति के अनुसार संसद की स्वीकृति के बावजूद ट्रंप प्रशासन ने 391 मिलियन डॉलर (2,775 करोड़ रुपये) की सैन्य सहायता यूक्रेन को नहीं दी। इसका उद्देश्य यूक्रेन को दबाव में लेना था कि वह ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के लिए चल रही जांच में सहयोग न दे। गवर्नमेंट अकाउंटबिलिटी ऑफिस ने कहा है कि कानूनी के तहत सरकार के प्रस्ताव को संसद की स्वीकृति के बाद रोका जाना कानून का उल्लंघन है। इससे ट्रंप प्रशासन की कार्यप्रणाली का पता चलता है। इसको लेकर संसद को सरकार से सवाल पूछना चाहिए।