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शीर्ष अमेरिकी सैन्य अफसर ने अफगान युद्ध को 'रणनीतिक विफलता' बताया

ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के प्रमुख जनरल मार्क मिले ने यह बताने से इन्कार कर दिया कि उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन को तब क्या सलाह दी थी जब वह अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाने या न बुलाने पर विचार कर रहे थे।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 01:07 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 01:09 AM (IST)
शीर्ष अमेरिकी सैन्य अफसर ने अफगान  युद्ध को  'रणनीतिक विफलता' बताया
शीर्ष अमेरिकी सैन्य अफसर ने अफगान युद्ध को 'रणनीतिक विफलता' बताया

वाशिंगटन, एपी। अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाने को लेकर कांग्रेस (संसद) में पहली गवाही में अमेरिका के शीर्ष सैन्य अधिकारी ने 20 बरस की जंग को 'रणनीतिक विफलता' बताया। अधिकारी ने कहा कि उनका मानना है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को रोकने के लिए अमेरिका को कुछ हजार सैनिक वहां तैनात रखने चाहिए थे।

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ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के प्रमुख जनरल मार्क मिले ने यह बताने से इन्कार कर दिया कि उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन को तब क्या सलाह दी थी जब वह अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाने या न बुलाने पर विचार कर रहे थे। उन्होंने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति से कहा कि यह उनकी निजी राय है कि काबुल में सरकार को गिरने और तालिबान के शासन को वापस आने से रोकने के लिए अफगानिस्तान में कम से कम 2,500 सैनिकों को तैनात रखने की जरूरत थी।

मिले ने उस युद्ध को 'रणनीतिक विफलता' बताया जिसमें 2,461 अमेरिकियों की जान गई है। उन्होंने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी पर तालिबान के कब्जे को लेकर कहा, 'काबुल में दुश्मन का शासन है।' उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की सबसे बड़ी नाकामी शायद यह रही कि अफगानिस्तान के बलों को अमेरिका के सैनिकों और प्रौद्योगिकी पर अधिक निर्भर रखा गया। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान ने अलकायदा से कभी भी संबंध खत्म नहीं किए। 

मैकेंजी ने भी मिले का किया समर्थन 

मध्य कमान के प्रमुख और अमेरिकी जंग के अंतिम महीनों की देखरेख करने वाले जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने कहा कि वह मिले के मूल्यांकन से सहमत हैं। उन्होंने भी यह बताने से इन्कार कर दिया कि उन्होंने बाइडन को क्या सलाह दी थी। सीनेटर टाम काटन ने मिले से पूछा कि जब उनकी सलाह नहीं मानी गई तो उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया तो मिले ने कहा, 'यह जरूरी तो नहीं कि राष्ट्रपति उस सलाह से सहमत हों। यह भी जरूरी नहीं है कि वह इसलिए फैसला करें कि हमने जनरल के तौर पर उन्हें सलाह दी है। और सैन्य अधिकारी के तौर पर सिर्फ इसलिए इस्तीफा देना कि मेरी सलाह नहीं मानी गई यह राजनीतिक अवज्ञा का अविश्वसनीय कार्य होगा।'

रक्षा मंत्री ने निकासी अभियान का किया बचाव

समिति के सामने रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने भी बयान दिया है। उन्होंने सेना द्वारा विमानों के जरिये लोगों को निकाले जाने के अभियान का बचाव किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से भविष्य के खतरों से निपटना कठिन तो होगा लेकिन यह पूरी तरह से संभव है। उन्होंने समिति को बताया, 'हमने एक राज्य बनाने में मदद की, लेकिन हम एक राष्ट्र नहीं बना सके।'


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