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सौ गुना तेजी से शनि से दूर हो रहा है ‘टाइटन’, ग्रह के साथ सौरमंडल पर भी देखने को मिलेगा इसका असर

Mysterious Universe बता दें कि केवल शनि ही ऐसा ग्रह है जिसमें पृथ्वी के समान ही नदियां और झीलें मौजूद हैं। शनि के 80 से ज्यादा चंद्रमा है जिसमें ‘टाइटन’ सबसे बड़ा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 09:56 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 12:13 PM (IST)
सौ गुना तेजी से शनि से दूर हो रहा है ‘टाइटन’, ग्रह के साथ सौरमंडल पर भी देखने को मिलेगा इसका असर
सौ गुना तेजी से शनि से दूर हो रहा है ‘टाइटन’, ग्रह के साथ सौरमंडल पर भी देखने को मिलेगा इसका असर

वाशिंगटन, एएनआइ। Mysterious Universe: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और इतालवी स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि शनि ग्रह का चंद्रमा (टाइटन) पहले के अनुमान के मुकाबले सौ गुना तेजी से उससे दूर हो रहा है। यदि इसी रफ्तार यूं ही बढ़ती रहती तो इसका असर शनि के प्लेनेटरी सिस्टम के साथ-साथ सौरमंडल पर भी देखने को मिलेगा।

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नेचर एस्ट्रोनॉमी नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, शनि के अलावा पृथ्वी का चंद्रमा भी हर साल पृथ्वी से करीब 1.5 इंच दूर हो रहा है। लेकिन ‘टाइटन’ की अपने ग्रह से दूर होनी गति काफी बढ़ गई है। ऐसा ग्रह पर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है, जिससे ग्रह में एक अस्थायी उभार पैदा होता है और इससे उत्पन्न हुई ऊर्जा चंद्रमा को और दूर धकेल देती है। नासा के मुताबिक ‘टाइटन’ की माइग्रेशन दर हर साल लगभग चार इंच के बराबर है। बता दें कि केवल शनि ही ऐसा ग्रह है जिसमें पृथ्वी के समान ही नदियां और झीलें मौजूद हैं। शनि के 80 से ज्यादा चंद्रमा है, जिसमें ‘टाइटन’ सबसे बड़ा है।

कैलिर्फोनिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर लैनी का सिद्धांत कहता है कि ग्रहों के आंतरिक और बाहरी चंद्रमा दोनों समान दरों पर दूर होते हैं। दोनों तरह के चंद्रमा ग्रहों के डगमगाने से कक्षाओं में फंस जाते हैं, जिसकी वजह वो दूर धकेल दिए जाते हैं। इस सिद्धांत ने लंबे समय से प्रचलित उस धारणा को भी बदल दिया है जिसके मुताबिक बाहरी चांद आंतरिक चांद की तुलना में बळ्हत धीरे-धीरे हटते हैं।

क्या होगा असर : चंद्रमा के अपने ग्रहों से लगातार दूर होने से अगले 50 अरब साल बाद चंद्रमा की कक्षा बहुत बड़ी हो जाएगी और एक समय बाद उसमें विस्तार होना बंद हो जाएगा। यदि पृथ्वी की बात करें तो चंद्रमा के दूर होने पर चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा और अपनी धळ्री पर एक चक्कर लगाने में कई दिन लग जाएंगे। इससे दिन और रात का समय भी प्रभावित होगा और दोनों का एक दूसरे पर ज्वार भाटा जैसा कोई असर नहीं होगा और तब चंद्रमा पृथ्वी से दूर जाना बंद हो जाएगा।

शुरुआत में पांच घंटे को होता था एक दिन: वैज्ञानिक का मानना है कि जब चंद्रमा का निर्माण हळ्आ था तब पृथ्वी पर एकदिन केवल पांच घंटे का हुआ करता था। चंद्रमा के कारण ही 4.5 अरब साल बाद पृथ्वी का एक दिन 24 घंटे का हो पाया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी की एक पिंड से टक्कर ना हुई होती तो शायद पृथ्वी का कोई चांद ही न होता।

गुरुत्वाकर्षण के कारण दूर हो रहा है चंद्रमा: चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण एक प्रक्रिया होती है। इसके चलते पृथ्वी के महासागरों में ज्वार भाटा की घटनाएं होती है। इसी शक्ति के कारण पृथ्वी फूलती है और अपने आकार में वापस आती है और इसी के कारण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से चंद्रमा को हल्का बल लगता है जिससे उसकी कक्षा की गति बढ़ जाती है और चंद्रमा धीरे-धीरे हमसे थोड़ा-सा दूर हो जाता है।


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