नासा की बड़ी पहल: अब 'मोमा' खोजेगा मंगल पर एलियन के सबूत
यह रोवर मंगल की सतह को दो मीटर की गहराई से ड्रिल करके यौगिक नमूना लेने में सक्षम है।
वॉशिंगटन [ जेएनएन ]। नासा के टोस्टर ओवन के आकार की एक प्रयोगशाला अब मंगल ग्रह पर एलियन के सबूत खोजेगी। इस अभियान को लेकर नासा के वैज्ञानिकों में काफी उत्साह है। उनका दावा है कि इससे मंगल ग्रह पर मौजूद प्राचीन युग से संरक्षित जटिल कार्बनिक यौगिक खोजने में मदद मिलेगी। प्रयोगशाला से मिली जानकारी मंगल ग्रह के इतिहास को समझने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
नासा की इस पहल से एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि क्या कभी मंगल पर जीवन संभव था। हालांकि, वैज्ञानिकों की एक बड़ी टीम सतत इस खोज अभियान में जुटी है कि क्या मंगल पर जीवन जीने योग्य समस्त संभावनाएं एवं वातावरण मौजूद है।
दरअसल, इसके लिए वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के लिए एक टोस्टर ओवन आकार की प्रयोगशाला तैयार की है, जो लाल ग्रह की सतह के नीचे ड्रिल करेगी और प्राचीन या वर्तमान जीवन के संकेतों की तलाश करेगी। यह प्रयोगशाला सतह के नीचे गहराई से पता लगाने वाला पहला रोवर होगी।
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में तैनात प्रोजेक्ट वैज्ञानिक विल ब्रिनकरहॉफ ने बताया कि एक्सोमार रोवर यंत्र दो मीटर का गहरा ड्रिल करेगा और अद्वितीय नमूने के साथ एमओएमए प्रदान करेगा। इसमें प्राचीन युग से संरक्षित जटिल कार्बनिक यौगिक की तलाश करेंगे। उनका दावा है कि इससे यह प्रमाणित होगा कि प्राचीन काल में मंगल ग्रह पर जीवन संभव था।
मंगल कार्बनिक अणु विश्लेषक (मोमा) नामक छोटी रसायनशास्त्र प्रयोगशाला में नासा का सहयोग यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉस्मस कर रही है। यह इन सबका संयुक्त मिशन है। इसे जुलाई 2020 में मंगल की ओर लॉन्च किया जाएगा।
मोमा विभिन्न प्रकार के कार्बनिक अणुओं का पता लगाने में सक्षम होगा। कार्बनिक यौगिक आमतौर पर जीवन से जुड़े होते हैं। हालांकि उन्हें गैर-जैविक प्रक्रियाओं द्वारा भी बनाया जा सकता है। कार्बनिक अणुओं में कार्बन और हाइड्रोजन होता है और इसमें ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य तत्व शामिल हो सकते हैं।
मंगल ग्रह पर इन अणुओं को ढूंढने के लिए एमओएमए टीम को ऐसे उपकरण का सहारा लेना पड़ता था, जो आम तौर पर रसायन शास्त्र प्रयोगशाला में कुछ वर्क बेंच पर कब्जा कर लेते थे।
इसके पूर्व नासा ने मंगल ग्रह के लिए परमाणु ईधन से चलने वाले इस 'क्यूरियोसिटी रोवर' अभियान चलाया था। इसकी लागत है करीब 2.5 अरब डॉलर थी। इस अभियान के तहत नासा वैज्ञानिकों ने एक अति उन्नत घूमती फिरती प्रयोगशाला को मंगल ग्रह पर भेजा था।