लॉकडाउन में ढील से कोरोना के लौटने का खतरा, विशेषज्ञ ने चेताया जांच में बढ़ाएं तेजी नहीं तो...
अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए लॉकडाउन में नरमी के बीच बड़ी संख्या में लोगों का बाहर आना कोरोना के लौटने के जोखिम को बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों ने इस बारे में आगाह किया है...
रोम/बीजिंग, एजेंसियां। कई देशों ने अब कोरोना लॉकडाउन में रियायतें देनी शुरू कर दी हैं। इनमें भारत और चीन जैसे दुनिया की बड़ी आबादी वाले देश शामिल हैं। लॉकडाउन में राहतों के मिलते ही बड़ी आबादी वाले देशों में लाखों लोग बाहर सड़कों पर निकल गए। हालांकि इसी बीच भारत समेत कई देशों में रविवार को एक दिन में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए... यही नहीं चीन में भी कुछ स्थानीय मामले सामने आए हैं। विशेषज्ञों की मानें तो यह चिंता का विषय है। चीन के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने भी आगाह किया कि देश में कोरोना के लौटने का खतरा बरकरार है।
बिना लक्षण के मामलों से चीन में चिंता
चीन में बीते दो हफ्तों में प्रांत-स्तरीय 10 क्षेत्रों में इनके प्रसार के स्थानीय स्तर पर नए मामले सामने आए हैं। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि रविवार को कोरोना वायरस के तीन नए मामले सामने आए। ये तीनों मरीज विदेश से चीन पहुंचे थे। इसके अलावा 13 ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे। एनएचसी की मानें तो रविवार तक 962 उन मामलों को निगरानी में रखा गया है, जिनमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं दिखा था। इनमें 98 मामले विदेश से आए हैं। वहीं ज्यादा आबादी वाले देश भारत में रविवार को संक्रमण के 2,500 नए मामले सामने आए।
जांच में दिखानी होगी तेजी नहीं तो....
रूस में पहली बार नए मामले 10 हजार के पार पहुंच गए हैं। ब्रिटेन में कोरोना से मरने वालों की संख्या इटली में मृतकों की संख्या के करीब पहुंच रही है। अमेरिका में रोजाना दसियों हजार नए केस सामने आ रहे हैं और मरने वालों की संख्या अभी भी हजार से ऊपर है। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेताया है कि लॉकडाउन में राहत के बीच यदि जांच में तेजी नहीं दिखाई गई तो संक्रमण का दूसरा दौर आ सकता है। ऐसे में जब लॉकडाउन के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था 1930 के दशक की मंदी के स्तर पर पहुंच गई है और इसे उबारने की कोशिशें हो रही हैं तो दूसरा दौर अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी काफी खतरनाक होगा।
भारत जैसे बड़े मुल्क के लिए बड़ा खतरा
रिपोर्टें बताती हैं कि भारत में सोमवार यानी चार मई को बड़ी संख्या में लोग सड़कों और शराब की दुकानों पर लंबी लाइनों में नजर आए। देश के कई राज्यों में बड़ी संख्या में मजदूर घर वापसी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। चीनी मीडिया के मुताबिक, अवकाश के शुरुआती दो दिनों में ही करीब 17 लाख लोग बीजिंग के पार्कों में नजर आए। यही नहीं शंघाई के मुख्य पर्यटन केंद्रों में 10 लाख से ज्यादा लोगों का आगमन हुआ। ऐसे में इन बड़े देशों में लोगों का उग्र व्यवहार दोबारा कोरोना संकट को जन्म दे सकता है।
लोगों का यह व्यवहार बढ़ा रहा मुश्किलें
इटली में पाबंदियों से छूट की पूर्व संध्या पर एक ही दिन में 174 और लोगों की संक्रमण से मौत हो गई। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी कैलिफोर्निया के समुद्र तटों पर लोगों की भारी भीड़ नजर आई। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से भी खतरनाक संकेत मिले जहां बिना किसी पूर्व सूचना के की गई 500 लोगों की जांच में से एक तिहाई संक्रमित मिले हैं। अमेरिका के न्यू जर्सी में राजकीय उद्यानों को खोला गया जिसके बाद देखते ही देखते पार्किंग स्थल के 50 फीसद भर गया। नतीजतन प्रशासन को लोगों को वापस भेजना पड़ा।
दुविधा में अमेरिका और ब्रिटेन
व्हाइट हाउस की कोरोना वायरस समन्वयक डेबोरा बिर्क्स ने कहा कि अमेरिका में बिना मास्क के सैकड़ों लोगों की ओर से पाबंदियों को वापस लेने और अर्थव्यवस्था को पूरी तरह सक्रिय करने की मांग वाले प्रदर्शनों ने चिंताजनक हालात पैदा किए हैं। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पर यह बताने का दबाव बढ़ रहा है कि वह देश में बंद को कैसे हटाएंगे। जबकि प्रतिबंधों के बीच भी देश में रोजाना कोरोन से अब भी सैकड़ों लोगों की जान जा रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि ब्रिटेन प्रतिबंधों से ढील को अमली जामा कैसे पहनाएगा।