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जिनका बचपन बीतता है तनाव में, जानिए क्यों ऐसे लोगों में 50-60 की उम्र में बढ़ जाता है हृदय रोग का खतरा

अध्ययन में कहा गया है कि जो बच्चे जीवन में अनुकूल माहौल नहीं पाते वे आजीवन तनाव में रहते हैं। इस कारण वे धूमपान के आदि हो जाते हैं और चिंता व अवसाद से ग्रस्त हो जाते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 07:32 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 07:43 PM (IST)
जिनका बचपन बीतता है तनाव में, जानिए क्यों ऐसे लोगों में 50-60 की उम्र में बढ़ जाता है हृदय रोग का खतरा
जिनका बचपन बीतता है तनाव में, जानिए क्यों ऐसे लोगों में 50-60 की उम्र में बढ़ जाता है हृदय रोग का खतरा

वाशिंगटन, एएनआइ। अगर आपका बच्चा बचपन में सदमा, उपेक्षा या दु‌र्व्यवहार का शिकार होता है 50 और 60 की उम्र में उसमें हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। यह बात एक नए अध्ययन में सामने आई है। नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के अध्ययन के परिणामों में बताया गया है कि जो लोगों का बचपन पारिवारिक तनाव में बीतता है, उनमें हृदय संबंधी रोग जैसे दिल का दौरा पड़ने की संभावना सामान्य लोगों से 50 फीसद अधिक होती है। चिंता की बात यह है कि यह स्थिति 30 साल की उम्र के बाद ही बनने लगती है। इसलिए अध्ययन में ऐसे लोगों को लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहने को कहा गया है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के तहत 3600 से ज्यादा लोगों की जांच की गई थी।

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अध्ययन में कहा गया है कि जो बच्चे जीवन में अनुकूल माहौल नहीं पाते वे आजीवन तनाव में रहते हैं। इस कारण वे धूमपान के आदि हो जाते हैं और चिंता व अवसाद से ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में उनकी जीवनशैली बदल जाती है जिससे इनका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) बढ़ जाता है। ये बच्चे आगे चलकर मधुमेह, उच्च रक्तचाव, नसों की शिथिलता एवं सूजन की समस्या से त्रस्त होते हैं।

वयस्कों में जोखित ज्यादा बढ़ा जाता है

अध्ययन के प्रमुख लेखक और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन में चौथे वर्ष के मेडिकल छात्र जैकब पियर्स ने कहा, वयस्कों में जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि वे खाने को सही तरह से पचा नहीं पाते है। इससे उनका वजन भी बढ़ता जाता है और मोटापे की समस्या हो सकती है। पियर्स ने यह भी कहा कि इस तरह के लोग अत्यधिक धूमपान भी करने लगते हैं जिसस हृदय रोग का खतरा बढ़ता जाता है।

पियर्स ने कहा कि बचपन में इन समस्याओं से ग्रसित वयस्कों को अध्ययन के दौरान इन जोखिम के बारे में बताया गया। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि वे तनाव से निपटने और धूमपान और मोटापे को नियंत्रित करने के लिए आगे आ सकें। हालांकि पियर्स का मानना है कि इसके लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।

मन और शरीर पर पड़ता है स्थायी प्रभाव

फीनबर्ग में दवा और निवारक दवा विभाग के एक प्रोफेसर ने कहा कि बचपन के अनुभवों का वयस्कों के मन और शरीर पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में अमेरिकी बच्चों को दु‌र्व्यवहार और पारिवारिक शिथिलता का सामना करना पड़ता है जो उनके पूरे जीवन में स्वास्थ्य और सामाजिक कामकाज के मुद्दों को प्रभावित करता है।

अध्ययन में पारिवारिक माहौल का रखा गया ध्यान

अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों के पारिवारिक माहौल का भी ध्यान रखा गया और उनसे पूछा गया कि उनका बचपन कैसे बीता। उनसे माता-पिता से मिले प्यार और अपनों की उपेक्षा की जानकारी भी हासिल की गई। पियर्स के मुताबिक यह भी पता किया गया कि क्या आपके परिवार को पता था कि आप एक बच्चे के रूप में क्या कर रहे थे।

हालांकि अध्ययन की एक कमी यह रही कि इसमें माता-पिता की चौकसी के बारे में जानकारी नहीं हासिल की गई, लेकिन निष्कर्षो से संकेत मिलता है कि माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में शामिल होने के बाद उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।


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