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शहरों में मौजूद जिम और अस्पतालों से ज्यादा रोगाणु हैं स्पेस स्टेशन में

वैज्ञानिकों ने आइएसएस के अंदर सतहों पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया और कवकों की एक व्यापक सूची बनाई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 12:24 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 12:24 PM (IST)
शहरों में मौजूद जिम और अस्पतालों से ज्यादा रोगाणु हैं स्पेस स्टेशन में
शहरों में मौजूद जिम और अस्पतालों से ज्यादा रोगाणु हैं स्पेस स्टेशन में

वाशिंगटन, प्रेट्र। नासा के वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) में बैक्टीरिया और कवक मौजूद हैं जो यहां की कक्षीय प्रयोगशाला को रोगणुजनक बनाते हैं। उन्होंने बताया कि यहां पृथ्वी के अस्पतालों और जिम से भी ज्यादा रोगाणु मौजूद हैं। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा रहता है। शोध करने वाली टीम में भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक भी शामिल हैं।

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वैज्ञानिकों ने आइएसएस के अंदर सतहों पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया और कवकों की एक व्यापक सूची बनाई है। अमेरिकी स्पेस एंजेसी ने अपने एक बयान में बताया कि बैक्टीरिया और कवकों के कंपोजीशन के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। इसका पता चलने पर अंतरिक्ष स्टेशन में सुरक्षा के उपाय विकसित किए जा सकते हैं। इससे अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले और वहां समय बिताने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकती है।

नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के वैज्ञानिक कस्तूरी वेंकटेश्वरन ने बताया कि भविष्य में लंबे समय तक चलने वाले मिशनों के मद्देनजर सूक्ष्म जीवों के प्रकारों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। हमें यह पता करना होगा कि यह बैक्टीरिया कितने समय तक जीवित रहते हैं और इनका मनुष्य के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि आइएसएस पर रोगाणु ज्यादातर मानव संबद्ध थे। सबसे प्रमुख बैक्टीरिया स्टैफिलोकोकस (26 प्रतिशत), पैंटोआ (23 प्रतिशत), बेसिलस (11 प्रतिशत) थे। एक और वैज्ञानिक अलेक्जेंड्रा चेकिंस्का सिलाफ ने बताया कि यह भी पता लगाना होगा कि ये बैक्टीरिया अंतरिक्ष में रहते हुए कैसे कार्य करते हैं।

14 महीनों में इकट्ठे किए सैंपल

वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने 14 माह में तीन उड़ानों के दौरान शौचालय, व्यायाम कक्ष, डाइनिंग टेबल, सोने के क्वार्टर आदि आठ जगहों से नमूने इकट्ठे किए और उनका विश्लेषण करने के लिए पारंपरिक तकनीकों और जीन अनुक्रमण विधियों का उपयोग किया।


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