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खात्‍मे की ओर है डॉन का सफर, इसकी सबसे बड़ी वजह बना है इसका 'तेल'

डॉन का सफर अब खात्‍मे की ओर है। लेकिन यह डॉन कोई माफिया नहीं बल्कि एक अंतरिक्ष यान है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 12:55 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 08:36 AM (IST)
खात्‍मे की ओर है डॉन का सफर, इसकी सबसे बड़ी वजह बना है इसका 'तेल'
खात्‍मे की ओर है डॉन का सफर, इसकी सबसे बड़ी वजह बना है इसका 'तेल'

वाशिंगटन। डॉन का सफर अब खात्‍मे की ओर है। लेकिन यह डॉन कोई माफिया नहीं बल्कि एक अंतरिक्ष यान है। दरअसल नासा के मिशन के तहत इस डॉन अंतरिक्ष यान को 27 सितंबर 2007 में केप कानावेरल एयरफोर्स स्टेशन से लांच किया था। इसका मकसद हमारे सौर मंडल के क्षुद्रग्रह घेरे के दो प्रमुख सदस्यों पर शोध करना है। इनका नाम सेरेस और वेस्‍टा है। सेरेस नाम का बौना ग्रह है और वेस्टा एक क्षुद्रग्रह है। 16 जुलाई 2011 को डॉन यान वेस्टा पहुचा था और इसने उसकी कक्षा (ऑर्बिट) में दाखिल होकर उसकी परिक्रमा शुरू की थी। यह यान यहां पर करीब 2012 तक रहा। इसके बाद 2015 में यह यान सेरेस पहुंच गया और अपने काम को बखूबी अंजाम दिया। लेकिन अब इस एस्‍ट्रॉयड बेल्‍ट की जांच के लिए भेजे गए ‘डॉन’ अंतरिक्ष यान का मिशन ईंधन की कमी के कारण बंद हो सकता है। आपको बता दें कि यह पहला ऐसा यान है जो इन खगोलीय वस्तुओं पर छानबीन करने के लिए वहां भेजा गया 

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अक्‍टूबर में खत्‍म हो जाएगा ईंधन  
स्पेस एजेंसी के मुताबिक यान का मुख्य ईंधन हाइड्राजीन सितंबर और अक्टूबर के बीच में खत्म हो सकता है। इस ईंधन के कारण ही यान का संपर्क धरती से बना हुआ है। ईंधन खत्म होने के बाद पृथ्वी से इसका संचार तो खत्म हो जाएगा, लेकिन यह सेरेस के कक्ष में दशकों तक पड़ा रहेगा। इंजीनियरों ने डॉन के लिए जिस जगह को चुना है वह सेरेस के आसपास ही है। इसके पीछे वजह यह है कि वहां कोई वायुमंडल नहीं है। ऐसे में यह यान बिना नष्ट हुए करीब दो दशक तक उसी कक्ष में रहेगा।

कई रहस्यों से उठाया पर्दा 
के प्लेनेटरी साइंस डिवीजन के कार्यकारी निदेशक लोरी ग्लेज ने कहा, ‘डॉन दो अलगअलग ग्रह के कक्ष का चक्कर लगाकर उसका अध्ययन करने वाला पहला यान है। इसकी मदद से दोनों क्षुद्रग्रह से जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठा था। 2011 से 2012 के बीच इस यान ने वेस्टा के इर्द-गिर्द घूमकर उसके गड्ढ़ों, पहाड़ों आदि की तस्वीरें उतारीं। 2015 में इस यान के कैमरों ने सेरेस पर मौजूद बर्फीली ज्वालामुखी का पता लगाया था

एस्‍ट्रॉयड (क्षुद्रग्रह)
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने सितंबर, 2007 में केप कानावेरल एयरफोर्स स्टेशन से इसे लांच किया था। 11 साल लंबे मिशन के दौरान इस यान ने कई अभूतपूर्व कारनामे किए और महत्वपूर्ण तस्वीरें जारी कीं। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य एस्‍ट्रॉयड पट्टी के पहले से ज्ञात तीन में से दो प्रोटोप्लेनेट (ग्रह बनने की ओर अग्रसर खगोलीय पिंड) का अध्ययन करना था। वेस्टा और सेरेस नामक ये क्षुद्रग्रह एस्‍ट्रॉयड पट्टी के 45 फीसद भार के लिए जिम्मेदार हैं।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 
नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल की एक विहंगम तस्वीर खींची है। इस तस्वीर में लाल ग्रह का आकाश हल्के लाल और भूरे रंग का दिख रहा है, जो बीते कुछ हफ्तों से वहां चल रही धूलभरी आंधी के कारण और गहरा गया है। क्यूरियोसिटी ने मंगल की यह तस्वीर अपनी वर्तमान स्थिति वीरा रुबिन रिज से उतारी। मास्ट कैमरे से रोवर ने खुद की भी तस्वीर ली है, जिसमें यान के ऊपर धूल की मोटी परत भी दिख रही है। बीते कुछ महीनों से मंगल पर चल रही आंधी के कारण रोवर का कामकाज भी प्रभावित हुआ था। नासा ने लाल ग्रह के गेल क्रेटर का अध्ययन करने के लिए नवंबर, 2011 में क्यूरियोसिटी को लांच किया था। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस क्रेटर का निर्माण एक झील के सूखने से हुआ है।

आसपास का किया था सर्वे 
नौ अगस्त को एक चट्टान का नया नमूना लेने के बाद क्यूरियोसिटी ने अपने आसपास के क्षेत्र का सर्वे शुरू किया था। इससे पहले रोवर ने दो बार नमूने लेने की कोशिश की थी, लेकिन कड़ी चट्टानों के कारण वह नाकाम रहा था। सितंबर तक रोवर चट्टान के दो और नमूने जुटाएगा। इसके बाद क्यूरियोसिटी अनुसंधान के लिए अपने अंतिम क्षेत्र माउंट शार्प की तरफ बढ़ेगा। इस क्षेत्र में सल्फेट खनिजों की भरमार है। 

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