जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठन हैं भारत और पाकिस्तान के संबंधों की बाधा
जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की गतिविधियां जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी रणनीति का हिस्सा हैं।
वाशिंगटन, एएनआइ। जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की गतिविधियां जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी रणनीति का हिस्सा हैं। यही संगठन कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण समाधान की राह के सबसे बड़ी बाधा भी हैं। यह बात एक भारतीय मूल के अमेरिकी विशेषज्ञ ने न्यूयॉर्क टाइम्स के अपने लेख में कही है।
दो दशकों से आतंकी वारदात को दे रहा अंजाम
अमेरिकी अखबार में पुरस्कार प्राप्त लेखक युद्धजीत भट्टाचार्य ने अपने चौथे लेख में बताया है कि जैश ए मुहम्मद का सरगना मसूद अजहर किस तरह से भारत में आतंकी हमले करवाता है। सन 1999 में अपहृत विमान को छोड़ने के बदले रिहा हुआ अजहर ये कृत्य पिछले करीब दो दशकों से कर रहा है। उसके संगठन के हाल के वर्षों में हुए हमलों से भारत को भारी नुकसान उठाना पड़ा है और वहां गुस्सा पैदा हुआ है। ऐसे ही एक हमले में फरवरी 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला किया गया था जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। इसी के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के अड्डे को निशाना बनाया था। इसी के बाद बढ़े तनाव से भारत और पाकिस्तान युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे। इस लिहाज से जैश और उस जैसे अन्य आतंकी संगठन भारत और पाकिस्तान के शांतिपूर्ण संबंधों की राह में सबसे बड़ी बाधा हैं।
मसूद अजहर का आजाद घूमना भारत के गुस्से की बड़ी वजह
भविष्य में जैश या उस जैसे किसी संगठन का भारत में हमला परमाणु हथियार संपन्न भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का कारण बन सकता है। मसूद अजहर का पाकिस्तान में स्वतंत्रता से काम करना और आजाद घूमना भारतीय सैन्य अधिकारियों के गुस्से की बड़ी वजह है। वैश्विक आतंकी घोषित होने के बावजूद वह पाकिस्तान में छिपकर रह रहा है और अपने संगठन को सक्रिय किए हुए है। पाकिस्तान उसे या उसके संगठन के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयार नहीं है। भारत और वैश्विक समुदाय की कार्रवाई की मांग पर वह अजहर के खिलाफ सुबूत की मांग करता है। जबकि वास्तविकता यह है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ जैश ए मुहम्मद और लश्कर ए तैयबा जैसे संगठनों का भारत से छद्म युद्ध में दशकों से इस्तेमाल कर रही है। भारत के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से पाकिस्तान की रणनीति को बड़ा झटका लगा है। वह इसीलिए इस मुद्दे को जोर-शोर से वैश्विक मंचों पर उठा रहा है।