टीसीएस ने कर्मचारियों के साथ भेदभाव मामले में अमेरिका में जीती कानूनी लड़ाई
टीसीएस के तीन पूर्व गैर दक्षिण एशियाई कर्मचारियों ने अपने मुकदमे में दावा किया था कि उन्हें काम के कम अवसर दिए गए और उनकी राष्ट्रीयता के चलते उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
न्यूयॉर्क, प्रेट्र। दिग्गज भारतीय आइटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने अमेरिका में कर्मचारियों से भेदभाव के मामले में बड़ी कानूनी लड़ाई जीत ली है। कैलिफोर्निया कोर्ट की ज्यूरी ने सर्वसम्मिति से टीसीएस के पक्ष में फैसला सुनाया कि भारतीय कंपनी ने गैर दक्षिण एशियाई कर्मचारियों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया।
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, कैलिफोर्निया के ओकलैंड कोर्ट की नौ सदस्यीय ज्यूरी ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। टीसीएस के तीन पूर्व कर्मचारियों क्रिस्टोफर स्लाइट, सैयद अमीर मसूदी और नोबेल मेंडिली ने अपने मुकदमे में दावा किया था कि उन्हें काम के कम अवसर दिए गए और उनकी राष्ट्रीयता के चलते उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए टीसीएस के प्रवक्ता ने कहा, 'हम इस बात पर हमेशा कायम रहे कि इस मुकदमे में किए गए दावे आधारहीन हैं। हम खुश हैं कि ज्यूरी भी इससे सहमत हुई। कंपनी की सफलता हमारे कर्मचारियों की प्रतिभा, विशेषज्ञता और गहरे औद्योगिक ज्ञान पर निर्भर करती है। इसलिए हम कर्मचारियों की नियुक्ति के बारे में निर्णय विशुद्ध रूप से उनकी क्षमताओं के आधार पर लेते हैं।'
भेदभाव का किया गया था दावा
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट में दावा किया था कि एक निश्चित समयावधि में कंपनी ने एक फीसद से भी कम दक्षिण एशियाई कर्मचारियों (ज्यादातर भारतीय) को निकाला। जबकि इसकी तुलना में 10.6 फीसद गैर दक्षिण एशियाई कर्मचारियों की छुट्टी कर दी गई। इस दावे पर टीसीएस के वकील ने दलील दी थी कि कंपनी के कर्मचारियों के डाटा से जाहिर होता है कि साल 2011 से स्थानीय कर्मचारियों को नौकरी देने में 400 फीसद की वृद्धि हुई है।