कोविड-19 से मुकाबले को परखी जा रही टीबी वैक्सीन, पढ़ें क्या कहा शोधकर्ताओं ने
कई अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर यह पाया गया है कि कोरोना वायरस हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
वॉशिंगटन, आइएएनएस/प्रेट्र। कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले की दिशा में टीबी की एक वैक्सीन में उम्मीद की नई किरण दिखी है। विभिन्न देशों में कोरोना वायरस के प्रभाव की पड़ताल में शोधकर्ताओं ने पाया कि टीबी की वैक्सीन बेसिलस कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) इस वायरस से मुकाबले में संभावित हथियार बन सकती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, बीसीजी वैक्सीन लंबे समय से बड़े पैमाने पर उपयोग में लाई जा रही है। बच्चों में टीबी की रोकथाम में प्रभावी रही इस वैक्सीन का सांस संबंधी संक्रमणों से बचाव में भी सुरक्षात्मक प्रभाव पाया गया है। अमेरिका के न्यूयॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के अनुसार, 'हमने बीसीजी नीतियों को लंबे समय से अपनाने वाले देशों की तुलना में इन नीतियों के अभाव वाले देशों (इटली, नीदरलैंड्स और अमेरिका) को कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित पाया।'
हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकता है कोरोना
कई अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर यह पाया गया है कि कोरोना वायरस हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह ज्ञात है कि कोविड-19 जैसी वायरल बीमारियां सांस संबंधी संक्रमणों का कारण बन सकती हैं। नतीजन फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। इससे मौत तक हो सकती है। यह हालांकि ठीक से पता नहीं है कि इसका हृदय प्रणाली पर क्या असर पड़ता है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ सेंटर के शोधकर्ता मुहम्मद मजीद ने कहा, 'यह संभव है कि हृदय बीमारी की गैरमौजूदगी के बावजूद हार्ट मसल को कोरोना वायरस नुकसान पहुंचा सकता है। हृदय रोगियों में इसका सबसे ज्यादा खतरा पाया गया।' शोधकर्ताओं ने हृदय रोग या उच्च रक्तचाप से जूझ रहे 65 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों में कोरोना का खतरा ज्यादा पाया है। ऐसे लोगों को खास ध्यान रखने की जरूरत बताई गई है।