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सांस से भी फैलता है टीबी संक्रमण, कोरोना की तरह एयरोसोल हो सकते हैं बीमारी फैलने का बड़ा माध्यम

बंद जगहों पर खांसी की तुलना में सांस के एयरोसोल हो सकते हैं संक्रमण का बड़ा माध्यम। विज्ञानियों ने टीबी से निपटने के लिए कोरोना महामारी की तर्ज पर अभियान की वकालत की। कोरोना वायरस के फैलने को लेकर भी इस तरह का शोध सामने आ चुका है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 08:52 AM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 08:52 AM (IST)
सांस से भी फैलता है टीबी संक्रमण, कोरोना की तरह एयरोसोल हो सकते हैं बीमारी फैलने का बड़ा माध्यम
सांस से भी फैल सकता है टीबी संक्रमण।(फोटो: प्रतीकात्मक)

वाशिंगटन। टीबी को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है। दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ताओं का कहना है कि खांसने से ही नहीं, बल्कि सांसों से भी टीबी संक्रमण फैल सकता है। अब तक खांसने को ही टीबी के प्रसार का सबसे बड़ा माध्यम माना जाता रहा है। शोध में पाया गया कि टीबी के 90 प्रतिशत बैक्टीरिया सांस के दौरान निकलने वाले एयरोसोल या छोटे ड्रापलेट से फैल सकते हैं। कोरोना वायरस के फैलने को लेकर भी इस तरह का शोध सामने आ चुका है।

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संक्रमण फैलने का यह तरीका ही जेल एवं ऐसी ही अन्य बंद जगहों पर महामारी के तेज प्रसार का कारण बना था।कोरोना महामारी के बाद टीबी ही दुनिया में सबसे जानलेवा संक्रमण है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल इससे 15 लाख लोगों की जान गई थी। कोरोना लाकडाउन के चलते एक दशक में पहली बार मृतकों की संख्या बढ़ी है। 2020 में 58 लाख लोगों में टीबी संक्रमण का पता चला।

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि संक्रमितों की वास्तविक संख्या एक करोड़ के करीब है। इनमें से ज्यादातर अनजाने में ही दूसरों को संक्रमित कर रहे हैं।शोध में यह भी सामने आया है कि खांसी के दौरान निकले ड्रापलेट की तुलना में सांसों से निकले एयरोसोल ज्यादा समय तक हवा में रह सकते हैं और ज्यादा दूर तक जा सकते हैं। इन नतीजों को देखते हुए विज्ञानियों ने टीबी की जांच और इससे निपटने के लिए भी कोरोना की तर्ज पर अभियान चलाने को कहा है। यूनिवर्सिटी आफ केपटाउन के स्नातक छात्र र्यान डिंकेल ने शोध के नतीजों को समझाते हुए कहा, 'इस बात में कोई संदेह नहीं कि खांसते समय ज्यादा बैक्टीरिया बाहर आते हैं, लेकिन सांसों से संक्रमण फैलने की गंभीरता को एक उदाहरण से समझ सकते हैं। यदि कोई संक्रमित व्यक्ति दिनभर में 22,000 बार सांस लेता है और करीब 500 बार खांसता है। ऐसे में कुल बैक्टीरिया की तुलना में खांसने से मात्र सात प्रतिशत बैक्टीरिया ही फैलेंगे। इसलिए किसी बस या स्कूल के कमरे में, जहां लोग साथ में लंबा वक्त बिताते हैं, वहां सांसों से बहुत ज्यादा संक्रमण फैल सकता है।'


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