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अलकायदा का साथ नहीं छोड़ रहा तालिबान, पेंटागन ने कहा; समझौते में संबंध तोड़ने का किया था वादा

सीएनएन ने पेंटागन की बुधवार को जारी हुई रिपोर्ट के हवाले से बताया कि अमेरिका और तालिबान के बीच गत फरवरी में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 06:38 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 01:37 AM (IST)
अलकायदा का साथ नहीं छोड़ रहा तालिबान, पेंटागन ने कहा; समझौते में संबंध तोड़ने का किया था वादा
अलकायदा का साथ नहीं छोड़ रहा तालिबान, पेंटागन ने कहा; समझौते में संबंध तोड़ने का किया था वादा

वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा कि तालिबान अपने वादे के बावजूद अलकायदा का साथ नहीं छोड़ रहा है। वह लगातार इस आतंकी संगठन के साथ मिलकर वारदातों को अंजाम दे रहा है। गत फरवरी में अमेरिका के साथ किए गए समझौते में तालिबान ने अलकायदा के साथ अपने संबंधों को तोड़ने का वादा किया था।

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सीएनएन ने पेंटागन की बुधवार को जारी हुई रिपोर्ट के हवाले से बताया कि अमेरिका और तालिबान के बीच गत फरवरी में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके बाद अफगानिस्तान में तालिबान की हिंसा बढ़ गई। वह अफगान सेना और पुलिस काफिलों को निशाना बना रहा है। हालांकि यह आतंकी संगठन बड़े शहरों या अमेरिकी और गठबंधन सैनिकों पर हमले से बच रहा है।

नियमित रूप से तालिबान आतंकियों के साथ कर रहा है काम

रिपोर्ट के अनुसार, अलकायदा अफगान सरकार को कमजोर करने और क्षेत्र में अमेरिकी बलों व पश्चिमी हितों को निशाना बनाने के प्रयास में नियमित रूप से तालिबान आतंकियों के साथ काम कर रहा है। शांति प्रक्रिया में हालिया प्रगति के बावजूद तालिबान ने अलकायदा के साथ करीबी संबंध बनाए हुए है।

तालिबान के साथ किए गए समझौते में ट्रंप प्रशासन ने यह वादा किया था कि वह मध्य जुलाई तक अफगानिस्तान से 8,600 अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लेगा। इस लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है। इसके बदले तालिबान ने अफगान सरकार के साथ शांति वार्ता करने और अलकायदा के साथ अपने संबंधों को खत्म करने का वादा किया था।

वहीं, इसके पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने आतंकी संगठन तालिबान को शांति समझौते का पालन करने को कहा था। साथ ही अमेरिकी सैनिकों पर हमला नहीं करने की भी नसीहत दी थी। बता दें कि फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच कतर की राजधानी दोहा में शांति समझौते पर दस्तखत हुए थे। समझौते में यह तय हुआ था कि अगर तालिबान हिंसा में कमी लाता है तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश अफगानिस्तान से 14 महीने में 12 हजार सैनिकों को वापस बुला लेंगे।


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