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अस्थमा पीड़ितों में टी सेल के कारण कम हो जाता है ब्रेन ट्यूमर का खतरा, जानिए और क्या कहता है ये शोध

चूहे पर एक नए अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि अस्थमा टी सेल को ऐसा व्यवहार करने के लिए प्रेरित करती है जिससे फेफड़ों का संक्रमण तो बढ़ जाता है लेकिन ब्रेन ट्यूमर का विकास रुक जाता है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 12 Dec 2021 04:43 PM (IST)Updated: Sun, 12 Dec 2021 04:43 PM (IST)
अस्थमा पीड़ितों में टी सेल के कारण कम हो जाता है ब्रेन ट्यूमर का खतरा, जानिए और क्या कहता है ये शोध
नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में हुआ अध्ययन का प्रकाशन

वाशिंगटन, एएनआइ। अस्थमा के मरीजों में दूसरों के मुकाबले ब्रेन ट्यूमर विकसित होने का खतरा कम होता है। अब सेंट लुइस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि ऐसा क्यों होता है।

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अध्ययन का प्रकाशन नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में हुआ है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा टी सेल के व्यवहार के कारण होता है। टी सेल प्रतिरक्षा कोशिकाओं में से एक है। जब किसी व्यक्ति या चूहे को अस्थमा हो जाता है, तो उसकी टी सेल सक्रिय हो जाती हैं।

कुछ बदलावों के साथ ब्रेन ट्यूमर के इलाज में किया जा सकता है टी सेल का इस्तेमाल

चूहे पर एक नए अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि अस्थमा टी सेल को ऐसा व्यवहार करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे फेफड़ों का संक्रमण तो बढ़ जाता है लेकिन ब्रेन ट्यूमर का विकास रुक जाता है। यह निष्कर्ष बताता है कि कुछ बदलावों के साथ टी सेल का इस्तेमाल ब्रेन ट्यूमर के इलाज में किया जा सकता है।

ब्रेन ट्यूमर के विकास को रोका जा सकता है

अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डेविड एच. गटमैन कहते हैं, 'निश्चित तौर पर हम यह नहीं कहना चाहते कि अस्थमा जैसी घातक बीमारी अच्छी है। हम अगर कुछ ऐसा कर सकें, जिससे दिमाग में प्रवेश करने वाली टी सेल, अस्थमा की टी सेल की तरह व्यवहार करने लगें तो ब्रेन ट्यूमर के विकास को रोका जा सकता है। इससे ब्रेन ट्यूमर के इलाज का एक नया रास्ता खुल सकता है।'

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