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एच-1बी वीजा को रद्द करने के डोनाल्‍ड ट्रंप के फैसले पर सुंदर पिचाई ने जताई निराशा, जानें क्‍या कहा

सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा कि गूगल आज जो कुछ है उसमें दूसरे देशों से आने वाले लोगों ने बड़ा योगदान दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 09:24 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 10:05 PM (IST)
एच-1बी वीजा को रद्द करने के डोनाल्‍ड ट्रंप के फैसले पर सुंदर पिचाई ने जताई निराशा, जानें क्‍या कहा
एच-1बी वीजा को रद्द करने के डोनाल्‍ड ट्रंप के फैसले पर सुंदर पिचाई ने जताई निराशा, जानें क्‍या कहा

वाशिंगटन, प्रेट्र। चार वर्षों तक धमकी देने के बाद अंतत ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा को रद्द करने का एक बड़ा फैसला कर लिया। अमेरिकी सरकार ने दिसंबर, 2020 तक विदेशी कामगारों को अमेरिका में काम करने संबंधी वीजा देने संबंधी सारी सुविधाओं पर रोक लगा दी है। इसमें इंर्फोमेशन टेक्नोलोजी (आइटी) पेशेवरों को प्रमुखता से दी जाने वाली एच-एबी वीजा भी शामिल है जिसका आवंटन बड़े पैमाने पर भारतीय आइटी पेशेवर के बीच होता है। 

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दूसरे देशों से आने वाले लोगों का बड़ा योगदान

सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने रोजगार आधारित वीजा प्रोग्राम पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रोक लगाए जाने पर निराशा व्यक्त की है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'आव्रजन ने अमेरिका की आर्थिक सफलता में बहुत योगदान दिया है और प्रौद्योगिकी में उसे वैश्विक सिरमौर बनाया है। गूगल आज जो कुछ है, उसमें दूसरे देशों से आने वाले लोगों ने बड़ा योगदान दिया है।' पिचाई ने कहा, 'आज की घोषणा से निराश हूं। हम दूसरे देशों से रोजगार के लिए आने वाले लोगों के साथ हैं और सभी के लिए अवसर पैदा करने के लिए काम करते रहेंगे।' 

ट्रंप प्रशासन ने कहा, अमेरिकी लोगों को रोजगार में तरजीह देना जरूरी

अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि कोविड-19 की वजह से जो हालात बने हैं उससे अमेरिकी लोगों को रोजगार में तरजीह देना जरूरी है। इसलिए विदेशी कामगारों को रोकना पड़ रहा है। उनका आकलन है कि तकरीबन 5.25 लाख नौकरियां जो विदेशियों को दी जाती, अब अमेरिकी युवाओं को दी जाएंगी। हर साल अमेरिका 70-80 हजार एच-1बी वीजा विदेशियों को देता है जिसमें से 50-60 हजार भारतीय पेशेवरों को ही मिलता है। अभी भी तीन लाख भारतीय आइटी पेशेवर इस वीजा पर वहां काम कर रहे हैं। इनमें से कुछ के रोजगार पर असर पड़ने के आसार हैं।

प्रमुख राजनयिक एलिस जी वेल्स ने भी विरोध किया 

एक अलग बयान में लीडरशिप कांफ्रेंस ऑन सिविल एंड ह्यूमन राइट्स की अध्यक्ष और सीईओ वनीता गुप्ता ने ट्रंप प्रशासन के इस कदम की निंदा की है। उन्होंने कहा कि नवीनतम यात्रा प्रतिबंध डोनाल्ड ट्रंप और स्टीफन मिलर के शुरू किए गए नस्ली और विदेशी विरोधी भावना का एक नया संस्करण है। कुछ दिनों पहले तक ट्रंप प्रशासन में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए प्रमुख राजनयिक रहीं एलिस जी वेल्स ने भी इस कदम का विरोध किया है। उन्होंने कहा, 'एच1बी वीजा कार्यक्रम के जरिये सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट को आकर्षित करने की क्षमता ने अमेरिका को अधिक सफल और लचीला बनाया है। विदेशी प्रतिभाओं को बांधने की कला जानना अमेरिका की ताकत है, कमजोरी नहीं।'

दूसरी कंपनियों ने भी जताया विरोध

नासकॉम ने कहा है कि यह कदम अमेरिका के हितों को ही नुकसान पहुंचाएगा। वहां स्थानीय प्रतिभा की कमी है लिहाजा अमेरिकी कंपनियां और ज्यादा बाहरी देशों को अपना काम काज सौपेंगी। आइटी सेक्टर की भारी भरकम कंपनियां जैसे माइक्रोसॉफ्ट, टेस्ला ने भी विरोध किया। कई प्रमुख अमेरिकी सांसदों ने भी अमेरिकी हितों के खिलाफ बताया है।


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