ट्रंप की विदेश नीति को एक और सफलता, अरब देशों के बीच समझौते में शामिल हुआ सूडान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद सूडान और इजरायल के बीच रिश्ते सामान्य करने की दिशा में एक ऐतिहासिक समझौता हो गया। इसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सूडान को आतंकवाद प्रयोजित करने वाले देशों की अमेरिकी सूची से बाहर भी कर दिया है।
वाशिंगटन, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। इजरायल और अरब देशों के बीच हो रहे समझौतों में अब सूडान का भी नाम शामिल हो गया है। शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद सूडान और इजरायल के बीच रिश्ते सामान्य करने की दिशा में एक ऐतिहासिक समझौता हो गया। इसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सूडान को आतंकवाद प्रयोजित करने वाले देशों की अमेरिकी सूची से बाहर भी कर दिया है। इस सूची में शामिल होने पर आर्थिक मदद और निवेश रोक दी जाती है।
सूडान के प्रधानमंत्री ने दिया धन्यवाद
सूडान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक ने उनके देश को आतंकवाद की सूची से हटाने के लिए अमेरिका का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि सुडान सरकार ऐसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों की ओर काम कर रही जिसमें उनके लोगों का सबसे ज़्यादा हित हो। दोनों देशों के नेताओं से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा क्या आपको लगता है कि 'स्लीपी जो' (सुस्त जो) ये समझौता कर पाते? मुझे ऐसा नहीं लगता।
राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन के लिए उनके विरोधी 'स्लीपी जो' नाम का इस्तेमाल करते हैं। इसके जवाब में बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि 'राष्ट्रपति जी, मैं आपको एक बात कह सकता हूं कि हम शांति के लिए अमेरिका से किसी की भी मदद की सराहना करते है।
अमेरिकी चुनावों से पहले हुए समझौते को राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि सऊदी अरब भी इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करेगा हालाँकि, फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इस समझौते की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि फलस्तीन की ओर से बोलने का अधिकार किसी के पास नहीं है। फलस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास ने इस समझौते को 'राजनीतिक गुनाह' कहा है। इस दौरान इसराइल ने कहा है कि वो अमरीका के यूएई को हाई-ग्रेड मिलिट्री हार्डवेयर बेचने का विरोध नहीं करेगा।
संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन में हुआ था समझौता
इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने हाल ही में इजरायल से शांति समझौता किया था। ये दो पहले ऐसे खाड़ी देश हैं जिन्होंने पिछले 26 सालों में पहली बार इजरायल को मान्यता दी। सूडान, इजरायल और अमेरिका के संयुक्त बयान के मुताबिक आने वाले सप्ताह में एक प्रतिनिधिमंडल की बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में तीनों देश कृषि, विमानन और प्रवासन संबंधी मुद्दों पर चर्चा करेंगे लेकिन ये बैठक कब होगी इसकी जानकारी नहीं दी गई है। तीनों देशों के संयुक्त बयान के मुताबिक 'सूडान और इजरायल के बीच संबंध सामान्य करने और टकराव ख़त्म करने को लेकर सहमती बनी है।
सूडान और इजरायल के संबंध
1948 में इजरायल के बनने के बाद से ही सूडान और इजरायल के बीच दुश्मन देशों जैसे संबंध रहे हैं। सूडान ने 1948 और 1967 में इजरायल के खिलाफ युद्ध लड़ा था, फलस्तीन के गुरिल्ला लड़ाकों के लिए ये इलाका स्वर्ग जैसा माना जाता है लेकिन, सूडान में राजनीतिक हालात तब बदले जब पिछले साल सुडान में तीन दशक से शासन कर रहे ओमर अल-बशीर का तख्तापलट हो गया और उनकी जगह सिविलियन मिलिट्री काउंसिल ने ले ली। इसके बाद इजरायल के संबंध सुधारने की शुरुआत हुई ताकि अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाया जा सके और सूडान को आर्थिक मदद मिल सके।
1948 में इजरायल की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद से मिस्र ने 1979 में और जॉर्डन ने 1994 में इजरायल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इडरायल के साथ अरब देशों के बढ़ते संबंधों की फलस्तीन ने आलोचना करता रहा है। फलस्तीन इन समझौतों को धोखा मानता है। ऐतिहासिक तौर पर अरब देश कुछ शर्तों पर इजरायल के साथ शांति समझौते की बात कहते रहते हैं। इन शर्तों में 1967 में इजरायल ने जिन इलाकों पर कब्जा किया है उन्हें छोड़ना और फलस्तीन को पूर्वी येरुशलम राजधानी के साथ एक देश के तौर पर मान्यता देना शामिल है।
कैसे हुआ समझौते का फैसला?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सूडान को आतंक प्रायोजित देशों की सूची से बाहर करने के थोड़ी देर बाद रिपोर्ट्स को राष्ट्रपति के ऑफिस (ओवल ऑफिस) ले जाया गया। यहां राष्ट्रपति ट्रंप सूडान और इजरायल के नेताओं के साथ फ़ोन पर बातचीत कर रहे थे। इजरायल के प्रधानमंत्री बैंन्जामिन नेतन्याहू ने इस समझौते को लेकर कहा है कि ये 'शांति के लिए एक आकस्मिक सफलता' और एक 'नए युग' की शुरुआत है।