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शरीर में कोरोना को मार डालती हैं टी-सेल्स, संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में लंबे समय तक बनी रहती है इम्‍यूनिटी

कोविड-19 से मुकाबले में शरीर की टी-सेल्स की भूमिका पर और रोशनी डालने को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। विज्ञानियों ने पाया कि कोरोना संक्रमण से मुकाबले में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षात्मक टी सेल्स की ज्यादा जरूरत पड़ती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 04:49 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 04:49 PM (IST)
शरीर में कोरोना को मार डालती हैं टी-सेल्स, संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में लंबे समय तक बनी रहती है इम्‍यूनिटी
कोविड-19 से मुकाबले में टी-सेल्स की भूमिका पर और रोशनी डालने को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है।

लॉस एंजिल्‍स, पीटीआइ। कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले में शरीर की टी-सेल्स (T-cell) की भूमिका पर और रोशनी डालने को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। भारतवंशी समेत विज्ञानियों के एक दल ने पाया कि कोरोना संक्रमण से मुकाबले में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) की सुरक्षात्मक टी सेल्स (T-cell) की ज्यादा जरूरत पड़ती है। टी सेल्स इम्यून सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाएं) होती हैं, जो कोरोना संक्रमित कोशिकाओं की पहचान कर उनका सफाया करती हैं।

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साइंस इम्युनोलॉजी पत्रिका में इस अध्ययन के नतीजों को प्रकाशित किया गया है। अमेरिका के ला जोला इंस्टीट्यूट के विज्ञानियों ने कोरोना रोगियों के रक्त नमूनों से एकत्र की गई 80 हजार से ज्यादा सीडी8प्लस टी सेल्स (T-cell) का विश्लेषण किया। उनका मानना है कि यह अपने तरह का पहला अध्ययन है, जिसमें कोरोना से मुकाबला करने वाली इन कोशिकाओं (T-cell) पर विस्तार से शोध किया गया।

उन्होंने बताया कि एंटीबॉडी रोगाणुओं के खिलाफ सुरक्षा मुहैया कराती है जबकि सीडी8प्लस टी सेल्स (T-cell) समेत इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं पर वायरस संक्रमित कोशिकाओं का सफाया करने का जिम्मा होता है। कई वायरसों के दोबारा संक्रमण के खिलाफ शरीर की सुरक्षा करने में भी सीडी8प्लस टी सेल्स (T-cell) की अहम भूमिका होती है। विज्ञानियों ने यह निष्कर्ष 39 कोरोना रोगियों और दस सामान्य लोगों के रक्त नमूनों में सीडी8प्लस टी सेल्स पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला है।

इस अध्ययन से जुड़े ला जोला इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर पांडुरंगन विजयानंद ने कहा, 'शोध के डाटा से जाहिर होता है कि कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित लोगों में लंबे समय तक इम्युनिटी बनी रह सकती है।' वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना के गंभीर मरीजों में टी-सेल (T-cell) की संख्या काफी कम हो जाती है। लेकिन यदि किसी संक्रमित मरीज के शरीर में टी-सेल की संख्या बढ़ा दी जाए तो वो संक्रमण से बच सकता है।  


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