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Lockdown: 48 दिन, 5 देशों की सीमाएं और एक छात्र का साइकिल से 2000 किलोमीटर का सफर, तब मिला माता-पिता का प्यार

कोरोनावायरस के दौरान लॉकडाउन की वजह से तमाम जगहों पर लोग फंसे हुए हैं। स्कॉटलैंड में फंसे एक स्टूडेंट को अपने माता-पिता की इतनी याद आई कि वो 2000 किलोमीटर साइकिल चलाकर घर पहुंचा।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 02:43 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 05:39 PM (IST)
Lockdown: 48 दिन, 5 देशों की सीमाएं और एक छात्र का साइकिल से 2000 किलोमीटर का सफर, तब मिला माता-पिता का प्यार
Lockdown: 48 दिन, 5 देशों की सीमाएं और एक छात्र का साइकिल से 2000 किलोमीटर का सफर, तब मिला माता-पिता का प्यार

लंदन, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन के दौरान कई अजीबोगरीब चीजें देखने को मिली हैं। जिन चीजों के बारे में कोई कभी सोच भी नहीं सकता था वो हो गईं। लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक परिवहन के साधन भी बंद रहे। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी कैंसल हैं। इस वजह से सैकड़ों लोग पैदल ही अपने घरों की ओर चले गए, जो पैदल नहीं गए उन्होंने दूसरा सहारा लिया।

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दोे हजार किलोमीटर का लंबा सफर 

कुछ लोगों ने तो अपने साधन से इतनी अधिक दूरी कर ली कि वो अपने आप में अचरच करने वाला हो गया। ऐसा ही एक ताजा मामला लंदन के स्कॉटलैंड से सामने आया है। स्कॉटलैंड में रहने वाले एक स्टूडेंट को अपने घर में रह रहे माता-पिता की इतनी याद आई कि उसने साइकिल से ही 2000 किलोमीटर का सफर तय कर डाला, वो 48 दिन तक साइकिल चलाकर अपने माता-पिता के पास पहुंचा। अपने बेटे को सामने देखकर माता-पिता की आंखों में आंसू भर आए। स्टूडेंट का नाम क्लेन पापादिमित्रिउ है। वो स्कॉटलैंड के एबरडीन में एक यूनानी छात्र है।  

20 साल के पापादिमित्रियो, एबरडीन विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। कोरोनावायरस का प्रकोप फैलने की वजह से सभी जगहों पर स्कूल कॉलेज और पढ़ाई लिखाई बंद है। पढ़ाई बंद हो जाने के बाद उसके पास काफी समय बच गया, इसका सदुपयोग करने के लिए उसने योजना बनाई। योजना के तहत ये प्लान बनाया कि अब वो मोटर साइकिल से कोरोनाग्रस्त यूरोप से बाहर चला जाएगा। 

शुरू किया सामान जमा करना 

इसके बाद पापादिमित्रियो ने अपनी तैयारी शुरू की। उसने सामान कलेक्ट करना शुरू किया। इसमें फोन, पावर बैंक, कुछ उपकरण, कपड़े के दो परिवर्तन, एक रेनकोट, एक विंडब्रेकर, एक तम्बू, स्लीपिंग बैग, चार दिनों के लिए भोजन और पानी रखा गया। इसके अलावा एक किताब भी अपने साथ रखी, वो उस किताब को अपने साथ हर स्थान पर लेकर जाना चाहता है।

पहले दिन जब वो साइकिल से अपने घर जाने के लिए निकला तो कुछ किलोमीटर पहुंचने के बाद उसको अपने इस निर्णय पर पछतावा हुआ। पापादिमित्रियो ने बताया कि उसके माता-पिता नहीं जानते थे कि वो कहां हैं? इस वजह से वो रोने लगे। उन्हें ये भी नहीं पता था कि वो घर से निकल आएं हैं अब रात में कहां ठहरेंगे। 

रात में रूकने का सताने लगा डर 

तब सामने से जा रहे एक पिज्जा डिलीवरी करने वाले लड़के से पूछा कि रात में वो कहां पर रूक सकता है। तब उस लड़के ने उन्हें बताया कि वो पास के एक ग्रोव में जाकर वहां रूक सकता है। वहां जाने के बाद पापादिमित्रियो ने फिर से अपने लिए भोजन जमा किया और अपने माता-पिता को बताया कि वो किस जगह पर पहुंचा है। 

उसके बाद वो आगे बढ़ गया, इस दौरान 20 साल के पापादिमित्रियो ने बहुत सारी चीजें सीखीं। उसने ये भी सीखा कि मुश्किल परिस्थितियों में खुद को कैसे संभाला जा सकता है। जब मेरा मनोबल कम होता है तो इस बात का अहसास होता है कि जीवन में कुछ रिश्ते कितने महत्वपूर्ण होते हैं। 

कठिनाइयों में बीता पहला दिन 

पापादिमित्रियो ने बताया कि जब वो साइकिल से अपने माता-पिता के पास जाने के लिए निकले तो पहले दिन कठिनाइयों से भरे हुए नजर आए। सबसे अधिक समस्या खराब मौसम और खड़ी चढ़ाई के कारण देखने को मिली। उन्होंने एक दिन में लगभग 125 मील की दूरी तय की। लेकिन उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि इस तरह के लक्ष्य से वो जल्द अपने घर पहुंच पाएंगे, उससे पहले उन्होंने एक दिन में लगभग 75 मील की दूरी तय की थी। 

दोस्त के घर बिताया दो दिन 

अपनी यात्रा के एक हफ्ते में वह उत्तरी इंग्लैंड के एक शहर लीड्स में एक दोस्त के घर पहुंचे, वहां वो दो दिनों तक रहे। उन्होंने स्कॉटलैंड छोड़ने के बाद से अपना पहला स्नान भी किया। इसके बाद पापादिमित्रियो के मन में आया कि वो अपने जीवन के साथ क्या कर रहा है। मगर उसे अपने माता-पिता के पास पहुंचना था। उसका अगला मुकाम ब्रिटेन से नीदरलैंड का सफर तय करना था, ये सफर उसने ब्रिटेन से नीदरलैंड के बीच का तय किया, इसमें नौका पर साइकिल रखकर सीमा पार की। 

चार दिन बाद वो जर्मनी के एक शिविर में पहुंचा। यहां उसके दोस्तों के दोस्त ने रूकने के लिए कहा। मगर किसी ने कोरोनावायरस की वजह से उसे अपने घर में जगह नहीं दी, ऐसे में उसे सड़क या फिर पार्क में टेंट लगाकर रात गुजारनी पड़ी। सड़क पर टेंट लगाकर रहने के दौरान उसे भी कोरोना का खतरा था मगर किसी तरह से उसने ये सब पार किया। 

46 दिन बाद पहुंचा ग्रीस 

पापादिमित्रिउ आखिरकार 25 जून को एबरडीन छोड़ने के 46 दिन बाद ग्रीस पहुंचा, यहां उनके माता-पिता ने उनसे पैट्रास में मुलाकात की, इसके बाद उसका कोरोनोवायरस परीक्षण किया गया, इसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। 27 जून को वे एथेंस अपने घर पहुंचे। तब उसने कहा कि उसे खुद नहीं पता था कि उसका मनोबल कितना ऊंचा है मगर अब यदि कोई उसे फिर से इतनी दूरी तक साइकिल चलाने के लिए कहे तो मुश्किल हो जाएगा।


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