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जानिए, अंतरिक्ष में ऐसा क्‍या हुआ जिससे इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर सवार एस्ट्रोनोट्स की सांसत में पड़ी जान, टला बड़ा हादसा

पृथ्‍वी की कक्षा में चक्‍कर लगा रहा इंटरनेशनल स्‍पेस सेंटर अंतरिक्ष का एक छोटा मलबा रोबोटिक आर्म से जा टकराया। हालांकि इस टक्‍कर से किसी भी तरह के ऑपरेशन में दिक्‍कत नहीं हुई लेकिन वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में बढ़ रहे मलबे को लेकर चिंता जरूर पैदा हो गई है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 03:53 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 05:14 PM (IST)
जानिए, अंतरिक्ष में ऐसा क्‍या हुआ जिससे इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर सवार एस्ट्रोनोट्स की सांसत में पड़ी जान, टला बड़ा हादसा
इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर सवार एस्ट्रोनोट्स की सांसत में पड़ी जान, टला बड़ा हादसा। फाइल फोटो।

एजेंसी। पृथ्‍वी की कक्षा में चक्‍कर लगा रहा इंटरनेशनल स्‍पेस सेंटर अंतरिक्ष का एक छोटा मलबा रोबोटिक आर्म से जा टकराया। हालांकि, इस टक्‍कर से किसी भी तरह के ऑपरेशन में दिक्‍कत नहीं हुई, लेकिन वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में बढ़ रहे मलबे को लेकर चिंता जरूर पैदा हो गई है। इस टक्‍कर से रोबोटिक आर्म को नुकसान पहुंचा है। इसके चलते उसमें एक छेद हो गया है। अंतरिक्ष में घटित होने वाली इस घटना की तस्‍वीरें जारी की गई है। यह रोबोटिक आर्म 17.6 मीटर लंबी है। इसका व्यास 14 इंच है। हालांकि, इन तस्वीरों से छेद के आकार का सही पता नहीं चल पा रहा है, न ही इस बात की जानकारी मिल रही है कि क्या ये आर्म के भीतर तो नहीं चला गया।

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12 मई को घटित हुई थी घटना

कनाडाई स्‍पेस एजेंसी द्वारा मुहैया कराई गई रोबोटिक आर्म को चलाने वाले ऑपरेटर्स ने इसमें एक छेद को देखाा है। स्‍पेस एजेंसी के अधिकारियों ने एक ब्‍लॉग पोस्‍ट में कहा है कि ये छेद आर्म के आकार की अपेक्षा छोटा है। अंतरिक्ष में यह घटना 12 मई को हुई थी, लेकिन इसने इंटरनेशनल स्‍पेस सेंटर पर सवार एस्ट्रोनोट की सांस जरूर अटका दी। स्‍पेस सेंटर की रोबोटिक आर्म 17.6 मीटर लंबी है। इसका व्यास 14 इंच है। हालांकि, इन तस्वीरों से छेद के आकार का सही पता नहीं चल पा रहा है, न ही इस बात की जानकारी मिल रही है कि क्या ये आर्म के भीतर तो नहीं चला गया।

खतरनाक होता है अंतरिक्ष का मलबा

अंतरिक्ष का मलबा इसलिए ज्‍यादा खतरनाक होता है, क्योंकि मलबे और स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार बेहद अधिक होती है। अगर ऐसे में इसकी किसी से टक्कर होती है तो इससे बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है। बता दें कि अंतरिक्ष में दो तरह के मलबे होते हैं। एक इंसानों द्वारा उत्‍पन्‍न किया गया मलबा होता है, जो स्पेसक्राफ्ट या सैटेलाइट्स के निष्क्रिय हो जाने के बाद अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे होते हैं। इस तरह के मलबे की बड़ी मात्रा अंतरिक्ष में मौजूद है। दूसरा, प्राकृतिक रूप से निर्मित मलबा होता है। ये मलबा क्षुद्रग्रह, धूमकेतु और उल्कापिंड से पैदा होता है।

इस घटना पर नासा की पैनी नजर

राहत की बात यह है कि इस टक्कर के बाद भी रोबोटिक ऑर्म ने स्पेस स्टेशन पर अपने काम को बिना किसी बाधा के करना जारी रखा। कनाडाई स्पेस एजेंसी और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की इस घटना पर पैनी नजर थी। कनाडाई स्पेस एजेंसी ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, चल रहे विश्लेषण के नतीजे बताते हैं कि रोबोटिक आर्म का काम किसी तरह से प्रभावित नहीं हुआ। हालांकि, इसका नुकसान आर्म बूम और थर्मल ब्लैंकेट के एक छोटे से हिस्से में हुआ है, लेकिन यह काफी सीमित है। इस रोबोटिक आर्म को क्यूबेक के मॉन्ट्रियल में स्थित कनाडाई स्पेस एजेंसी के मुख्यालय से ऑपरेट किया जाता है।

क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को ऑर्बिटल स्टेशन भी कहा जाता है। इसे इंसानों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पिछले दो दशकों से अधिक समय से अंतरिक्ष की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। ये अंतरिक्ष में मानव निर्मित ऐसा स्टेशन है, जिससे पृथ्वी से कोई अंतरिक्ष यान जाकर मिल सकता है। इसके अलावा इसमें इतनी क्षमता होती है कि इस पर अंतरिक्ष यान उतारा जा सके। इसके जरिए पृथ्वी का सर्वेक्षण किया जाता है और आकाश के रहस्यों का पता लगाया जाता है। इसे 20 नवंबर 1998 को लॉन्च किया गया था।


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