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अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा- बीमारियों की जांच में मददगार साबित होगा स्मार्टफोन

वैज्ञानिकों ने एक नया इमेजिंग एल्गोरिदम तैयार किया है, जिसकी मदद से स्मार्टफोन बीमारियों की जांच में मददगार हो सकते हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 06:02 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 06:06 PM (IST)
अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा- बीमारियों की जांच में मददगार साबित होगा स्मार्टफोन
अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा- बीमारियों की जांच में मददगार साबित होगा स्मार्टफोन

न्यूयॉर्क, प्रेट्र।  स्मार्टफोन की उन्नत होती तकनीक ने दुनिया को तेजी से बदला है। अब वैज्ञानिकों ने एक नया इमेजिंग एल्गोरिदम तैयार किया है, जिसकी मदद से स्मार्टफोन बीमारियों की जांच में मददगार हो सकते हैं। इसकी मदद से उन बीमारियों की जांच संभव हो सकती है, जिनके लिए प्राय: स्पेक्ट्रोस्कोपी की जरूरत पड़ती है। अमेरिका की फ्लोरिडा एटलांटिक यूनिवर्सिटी (एफएयू) के शोधकर्ताओं ने कहा कि मेडिकल की दुनिया में स्मार्टफोन तेजी से जांच उपकरण की भूमिका में आ रहे हैं।

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फ्लोरिडा एटलांटिक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि विकासशील देशों में इनका महत्व और भी ज्यादा है, क्योंकि इन्हें चलाने के लिए बहुत ज्यादा विशेषज्ञता की जरूरत नहीं होती। स्मार्टफोन की कैमरा टेक्नोलॉजी वर्तमान समय में कई चिकित्सकीय कार्यो में मदद कर रही है। हालांकि इसके प्रयोग की सीमाएं हैं। अब वैज्ञानिकों ने स्मार्टफोन से खींची गई 10,000 से ज्यादा तस्वीरों के अध्ययन के जरिये एक नया एल्गोरिदम तैयार किया है। इस एल्गोरिदम के जरिये स्मार्टफोन से खींची गई तस्वीरें कई महत्वपूर्ण चिकित्सकीय प्रक्रियाओं में प्रयोग की जा सकेंगी। 

इससे पहले दिसंबर 2018 में अमेरिका स्थित साल्क इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कहा था कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी किस तरह हमारी नींद में खलल डालती है। वैज्ञानिकों का कहना था कि इस खोज से माइग्रेन, अनिद्रा, शरीर की आंतरिक घड़ी की लय में गड़बड़ी जैसे विकारों से निपटने के लिए कारगर उपचार तलाशे जा सकेंगे।

अमेरिका स्थित साल्क इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि हमारी आंखों में मौजूद कुछ कोशिकाएं परिवेश प्रकाश की प्रक्रिया करती हैं और हमारी आंतरिक घड़ियों को रीसेट करती हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि जब आंखों की ये कोशिकाएं कृत्रिम रोशनी के संपर्क में आती हैं तो हमारे शरीर की आंतरिक घड़ियां असमंजस में पड़ जाती हैं, जिससे हमारा दैनिक चक्र बिगड़ जाता है और हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। सेल रिपोर्ट्स नामक जर्नल में इस अध्ययन को विस्तार से प्रकाशित किया गया है।


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