Move to Jagran APP

आपकी नींद के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं 'स्लीप ट्रैकर'

स्लीप ट्रैकर की बिक्री और इनका बढ़ता इस्तेमाल इस बात को दर्शाता है कि लोगों को इन पर कितना भरोसा है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 08:05 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 08:05 AM (IST)
आपकी नींद के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं 'स्लीप ट्रैकर'
आपकी नींद के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं 'स्लीप ट्रैकर'

वाशिंगटन, एनवाइटी। सोते-जागते हर वक्त किसी ना किसी रूप में टेक्नोलॉजी हमें घेरे रहती है। हाल के दिनों में ऐसे डिवाइस का प्रयोग भी खूब होने लगा है जो हमारी नींद पर निगाह रखते हैं। एपल से लेकर कई बड़ी कंपनियां ऐसे स्लीप ट्रैकर बना रही हैं, जो हमें बताते हैं कि हमारी नींद कैसी रही।

loksabha election banner

रोजाना की भागदौड़ में पूरा आराम और पर्याप्त नींद पाना सबके लिए मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में स्लीप ट्रैकर एक साथी की तरह नजर आता है, जो हमें बताता है कि बीती रात हमने कितनी नींद ली? हमारी नींद सेहत के हिसाब से पर्याप्त थी या नहीं? नींद के मामले में हमें कितने सुधार की जरूरत है? ट्रैकर ऐसे कई सवालों के जवाब देता है, जो हमें बहुत काम के लगते हैं। स्लीप ट्रैकर की बिक्री और इनका बढ़ता इस्तेमाल इस बात को दर्शाता है कि लोगों को इन पर कितना भरोसा है। क्या आपने सोचा है कि सही नींद की परिभाषा क्या है और कोई ट्रैकर इसे कितना समझ पाता है? सवाल यह भी है कि ट्रैकर पर भरोसा करना कितना फायदेमंद है? कहीं नींद पर नजर रखने वाला ट्रैकर ही आपकी नींद उड़ने का कारण तो नहीं बन रहा?

क्या होती है नींद?

यह सवाल सुनने में तो अटपटा लग सकता है, लेकिन है बहुत काम का। जब तक हम नींद को नहीं समझ लेंगे, ट्रैकर के नफा-नुकसान को समझना मुश्किल है। दरअसल हमारी नींद के तीन हिस्से होते हैं - हल्की नींद, गहरी नींद और आरईएम (रैपिड आई मूवमेंट) नींद। हल्की नींद शुरुआती होती है। गहरी नींद वह पल है जब हमारी मांसपेशियों की मरम्मत होती है और मेटाबोलिज्म खुद को दुरुस्त करता है। इसी तरह आरईएम नींद का वह हिस्सा है, जब हम सपने देखते हैं। दिमाग के मानसिक और भावनात्मक नेटवर्क की मरम्मत के लिए यह हिस्सा जरूरी होता है।

क्या करता है स्लीप ट्रैकर?

स्लीप ट्रैकर आमतौर पर दिल की धड़कन और नाड़ी की गति के हिसाब से आपकी नींद का पता लगाते हैं। इसलिए इनकी मदद से हल्की और गहरी नींद का पता तो लग जाता है, लेकिन सपने वाली नींद का पता ऐसे ट्रैकर नहीं लगा पाते हैं। यही इनकी सबसे बड़ी खामी है। जब तक नींद के तीनों हिस्सों का सही डाटा ना मिल जाए, नींद और आपकी सेहत को लेकर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है। स्लीप ट्रैकर दरअसल आधे-अधूरे डाटा के आधार पर ही आपको जानकारी देते हैं।

क्या है मुश्किल?

ट्रैकर का निष्कर्ष कई बार मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित होता है। अगर ट्रैकर बता दे कि आपकी नींद पर्याप्त नहीं है, तो हो सकता है कि आप इस बात को लेकर मानसिक दबाव में आ जाएं। यह मानसिक दबाव आपकी नींद और कमजोर कर देगा। जबकि बहुत हद तक संभव है कि कुल नींद का समय कम रहने पर भी नींद के तीनों हिस्सों का अनुपात सही रहता हो और आपके शरीर को लगभग पूरा आराम मिल जाता हो। ऐसे में ट्रैकर से मिली जानकारी के बाद आपका सुकून छिन जाने और नींद उड़ जाने का खतरा बढ़ सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.