भूख से बिलखते अमेरिका में मिसाल बना सिख समुदाय, निस्वार्थ भाव से लाखों का भर रहा पेट
कोरोना महामारी और अश्वेत नागरिक की कथित हत्या के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के बीच अमेरिका में सिख समुदाय भूखे लोगों का पेट भरने में लगा है।
न्यूयॉर्क (न्यूयॉर्क टाइम्स)। अमेरिका छह माह बाद भी कोरोना की गिरफ्त में बुरी तरह से जकड़ा हुआ है। इसकी वजह लगे लॉकडाउन के चलते अमेरिका में लाखों लोगों की नौकरियां चली गई हैं। ऐसे लोगों के लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। यही वजह है कि ये लोग फूड बैंक के सहारे दिन काटने को मजबूर हैं। ऐसे ही लोगों के लिए अमेरिका में बसे भारतीय सिख मानवता की एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं। ये लोग ऐसे बुरे वक्त में लोगों का पेट भरने के काम में लगे हैं। ऐसा सिर्फ किसी एक जगह नहीं बल्कि लगभग पूरे अमेरिका में हो रहा है।
क्वीन विलेज की एक इमारत में 30 सिखों ने मिलकर बीते तीन माह में 1.45 लोगों को फ्री में खाना खिलाया है।इनके खाने में बासमती चावल, दाल, बीन्स के अलावा दूसरी सब्जियां शामिल होती हैं। भूख से मजबूर लोगों के लिए यहां पर मिलने वाला गरमागर्म खाना किसी वरदान से कम नहीं है। जहां पर ये लोग मिलकर लोगों को खाना खिलाते हैं वो दरअसल, एक गुरुद्वारा है। आपको बता दें कि सिख धर्म पूरी दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा धर्म है। प्राचीन काल से ही लोगों की सेवा करना इस धर्म का मकसद रहा है।
लोगों की निस्वार्थ सेवा और यहां पर चलने वाला लंगर इस समुदाय की प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा का ही एक हिस्सा है। न्यूयॉर्क के सिख सेंटर के गुरद्वारे में चलने वाले लंगर से लाखों भूख लोग अपना पेट भर रहे हैं। आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों से अमेरिका में अश्वेत अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक की कथित हत्या से कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुआ है। सैकड़ों लोगों ने दिन और रात में भी अपना ये प्रदर्शन जारी रखा है। ऐसे में इस समुदाय ने इन लोगों की भूख मिटाने में अग्रणी भूमिका अदा की है।
इन्होंने यहां पर आने वाले लोगों को न सिर्फ गरमागर्म स्वादिष्ट खाना मुहैया करवाया बल्कि पानी समेत दूसरी चीजें जैसे मास्क आदि भी मुहैया करवाई। वर्ल्ड सिख कम्यूनिटी के कॉ-आर्डिनेटर हिम्मत सिंह बताते हैं कि जहां कहीं भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन होता है ये लोग वहां पर लोगों की भूख मिटाने के लिए पहुंच जाते हैं। वे भी नस्लभेद के खिलाफ होने वाले शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन के समर्थक हैं। लेकिन इसमें शामिल होने से बड़ी जिम्मेदारी लोगों को इस बुरे समय में भूख से निजात दिलाने की है।
लोगों की भूख मिटाने का ये काम केवल गुरुद्वारे में चल रहे लंगर से ही पूरा नहीं हो रहा है बल्कि इसके लिए इन लोगों ने बंद पड़े रेस्तरां और स्कूलों का भी इस्तेमाल किया है। यहां पर ये खाना बनाते हैं और जरूरतमंदों में बांटते हैं। इसके लिए हिम्मत उन लोगों का धन्यवाद भी करते हैं जो इस परोपकार के काम के लिए डोनेशन देते हैं। अमेरिका में मौजूद करीब लाखों सिख वहां पर स्थित गुरुद्वारों के माध्यम से आम दिनों में भी हर रोज इस परोपकार को करते हैं।
न्यूयॉर्क में हुए 9/11 के हमले के बाद अमेरिका में सिख समुदाय को भी शक की निगाह से देखा जाने लगा था। इसकी वजह उनकी पगड़ी और दाढ़ी थी। इसकी वजह से कई मामले ऐसे भी सामने आए जहां पर भूलवश इन लोगों को अमेरिकियों के आक्रोश का भी शिकार होना पड़ा था। अटलांटा स्थित गुरु नानक मिशन सोसायटी के अध्यक्ष संतोख ढिल्लन बताते हैं कि जिस किसी को भी यहां पर मुफ्त खाना मिलने का पता चलता है वो अपने साथ अन्य लोगों को भी यहां पर ले आता है। ये लोग इनके काम की दिल से तारीफ करते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस मुश्किल घड़ी में भी 80 गुरुद्वारे लगातार भूख से बिलखते अमेरिकियों का पेट भरने के काम में दिन-रात लगे हुए हैं। सिख कॉलिशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सतजीत कौर बताती है ये उनके जीवन का हिस्सा है। सिख समुदाय का हर सदस्य अपनी आय का दस फीसद इस काम के लिए दान देता है। इसकी बदौलत ये काम बिना रोकटोक चलता रहता है। हालांकि महामारी के दौर में कुछ जगहों पर खाने की वैरायटी में बदलाव किया गया है लेकिन इसके बावजूद यहां पर किसी भी रह का मांस नहीं बनता है।
डॉक्टर प्रीतपाल सिंह के मुताबिक हर वर्ष किसी बड़े या शुभ अवसर पर अकेले फ्रेमॉन्ट की रसोई में ही 15-20 हजार लोगों के लिए खाना बनता है। महामारी के इस दौर में भी यहां की रसोई खुली है और हर रोज बड़ी संख्या में लोग यहां पर खाना खाने के लिए आते हैं। वो बताते हैं कि देश भर में होने वाले प्रदर्शनों की वजह से वो इस बात का इंतजार नहीं करते हैं कि लोग यहां पर आकर अपना पेट भरें बल्कि उस जगह पर ही जाकर लोगों को खाना और पीने का पानी मुहैया करवाते हैं।