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मेडिकल स्‍टाफ की कमी से जूझ रहा अमेरिका, अन्‍य देशों में भी कोरोना से है हाल बेहाल

अमेरिका में कोरोना की सुनामी ने वहां की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर बुरा असर डाला है। आलम ये है कि यहां पर मरीजों की देखभाल को मेडिकल स्‍टाफ की कमी होने लगी है। आइसीयू में बेड लगातार खत्‍म हो रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 11:44 AM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 02:14 PM (IST)
मेडिकल स्‍टाफ की कमी से जूझ रहा अमेरिका, अन्‍य देशों में भी कोरोना से है हाल बेहाल
कोरोना महामारी से पस्‍त हुआ अमेरिका, बढ़ रहा संकट

वाशिंगटन (एएनआइ)। अमेरिका में लगातार बढ़ते कोरोना और इसके नए वैरिएंट ओमिक्रोन बढ़ते मामलेां ने यहां की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था को चरमरा कर रख दिया है। आलम ये है कि यहां पर अस्‍पताल में भर्ती मरीजों को देखने के लिए भी स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की कमी देखी जा रही है। कर्मचारियों की कमी का असर सीधेतौर पर मरीजों के इलाज पर पड़ने लगा है। इस कमी की वजह से आम आदमी से लेकर सरकार तक सभी परेशान हैं। 

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अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग द्वारा जारी ताजा आंकड़ं इस संबंध में बेहद डराने और परेशान करने वाले हैं। इसमें कहा गया है कि देश के करीब 19 प्रांतों में 15 फीसद से कम आइसीयू बेड खाली हैं। वहीं केंचुकी, अल्बामा, इंडियाना और न्यू हैम्पशायर में हालात इस कदर खराब हैं कि यहां के अस्पतालों में दस फीसद से भी कम आइसीयू बेड खाली हैं। इसका अर्थ है कि यहां पर कोरोना के बढ़ते मरीजों की तादाद से हालात चिंताजनक हो चुके हैं। जानकार इसको अमेरिका में कोरोना की सुनामी करार दे चुके हैं।

आपको बता दें कि कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक ये पहली बार हुआ है कि अमेरिका में रिकार्ड तोड़ मरीज सामने आ रहे हैं। यहां पर दो बार नए कोरोना मामलों की संख्‍या दस लाख तक को पार कर गई है, जो विश्‍व में सर्वाधिक है। संक्रमण के बढ़ते दायरे की वजह से अ‍ब अस्पताल में काम करने वालों के संक्रमित होने का खतरा अधिक हो गया है। बढ़ते कोरोना मामलों के चलते वाशिंगटन के मेयर को ये कहना पड़ा है कि अस्‍तपाल फिलहाल दूसरे मरीजों को देखने पर रोक लगा दें और कोरोना मरीजों पर ही पूरा फोकस करें। 

कोरोना का कहर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है बल्कि रूस और यूरोप के दूसरे देश भी इसकी चपेट में गंभीर रूप से आ चुके हैं। रूस में कोरोना के नए मामले और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। यहां पर कुल संक्रमितों का आंकड़ा एक करोड़ सात लाख को पार कर गया है और अब तक 3.19 लाख मरीजों की जान भी जा चुकी है। रूस की उप प्रधानमंत्री तातियाना गोलिकोवा के मुताबिक देश की राजधानी मास्‍को इससे सबसे अधिक प्रभावित है। देशभर में आने वाले कुल मामलों में से आधे केवल यहींं से मिल रहे हैं।  

कोरोना महामारी से चीन भी बच नहीं सका है। यहां पर होने वाले विंटर ओलंपिक पर अब कोरोना महामारी की साया साफतौर पर देखा जा सकता है। बीजिंग विंटर ओलंपिक शुरू होने में अब केवल दो सप्‍ताह का ही समय बचा है। इस बीच चीन में पाबंदियां बढ़ाई जा रही हैं। इसके तहत विदेश से आने वालों पर रोक तक लगाई जा रही है। चीन ने अपने नागरिकों को भी केवल जरूरी होने पर ही यात्रा करने की अनुमति दी है। 

ब्रिटेन की बात करें तो एक नई रिसर्च में पता चला है कि युवाओं और बच्चों में ओमिक्रोन तेजी से फैल रहा है, जिससे अस्‍पतालों में भर्ती मरीजों की संख्‍या बढ़ी है। हालांकि इनमें से अधिकतर को हल्के संक्रमण हैं। इसमें कहा गया है कि वैक्‍सीनेशन की वजह से अब तक इसके गंभीर मामले पहले की तुलना में कम ही सामने आ रहे हैं। ओमिक्रोन के चलते एक साल से कम उम्र के 42 प्रतिशत बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है। 

इटली में भी कोरोना महामारी का हाल कमोबेश ऐसा ही है। यहां पर शुक्रवार को कोरोना के 1.86 लाख नए मामले सामने आए हैं। इससे एक दिन पहले 1,84,615 मामले सामने आए थे। इसी तरह से फ्रांस में कोरोना के मामले बढ़े जरूर हैं लेकिन यहां पर आइसीयू में भर्ती मरीजों की संख्‍या में कमी आई है। 


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