ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की संवैधानिकता पर सीनेट की मुहर, रिपब्लिकन पार्टी के छह सांसदों ने दिया डेमोक्रेट का साथ
ट्रंप पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिनके खिलाफ दूसरी बार महाभियोग की सुनवाई हो रही है। इससे पहले राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया केवल तीन बार हुई जिनमें एंड्रयू जॉनसन बिल क्लिंटन और फिर पिछले वर्ष ट्रंप को बरी कर दिया गया था।
वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सीनेट में महाभियोग की कार्यवाही की संवैधानिकता पर हुए मतदान में छह रिपब्लिकन सदस्यों ने अपने डेमोक्रेटिक सहयोगियों का साथ दिया। सीनेट ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग कार्यवाही की संवैधानिकता पर 44 के मुकाबले 56 वोट से मुहर लगाई। इसके साथ ही अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रहे ट्रंप पर महाभियोग की कार्यवाही शुरू हो गई। इस दौरान डेमोक्रेट अभियोजक ने कहा कि चुनाव परिणाम को पलटने के लिए संसद पर हमले के ट्रंप निर्दोष दर्शक नहीं थे, बल्कि वह भड़काने वालों के मुखिया थे। उन्होंने कहा कि वह इसे साबित कर देंगे।
चुनाव परिणाम को पलटने के लिए छह जनवरी को अमेरिकी संसद में दंगा भड़काने का आरोप
बता दें कि महाभियोग के तहत पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ चुनाव परिणाम को पलटने के लिए छह जनवरी को अमेरिकी संसद में दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया है। मंगलवार को ट्रंप द्वारा समर्थकों को भड़काने से जुड़ा एक 13 मिनट का वीडियो भी सीनेट में दिखाया गया।
रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक के सदन में 50-50 सदस्य हैं, महाभियोग के लिए 67 वोट जरूरी
दलीलें रखने की प्रक्रिया बुधवार को शुरू हो गई। दोनों पक्षों को 16-16 घंटे दिए जाएंगे। इसके बाद 100 सदस्यीय सीनेट में ट्रंप के महाभियोग पर मतदान होगा। रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक, दोनों दलों के सदन में 50-50 सदस्य हैं। ट्रंप पर महाभियोग के लिए सीनेट को इस प्रस्ताव को 67 वोटों के साथ पारित करना होगा। ट्रंप के खिलाफ सीनेट में शुरू हुई महाभियोग की प्रक्रिया में मंगलवार को छह रिपब्लिकन सदस्यों ने डेमोक्रेटिक पार्टी का साथ दिया, लेकिन अब आगे की प्रक्रिया के लिए कम से कम 11 और रिपब्लिकन सांसदों के वोट की जरूरत होगी। ट्रंप पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिनके खिलाफ दूसरी बार महाभियोग की सुनवाई हो रही है। इससे पहले राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया केवल तीन बार हुई, जिनमें एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन और फिर पिछले वर्ष ट्रंप को बरी कर दिया गया था। राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद महाभियोग की कार्यवाही का यह पहला मामला है।
अपने अटार्नी से नाराज हैं ट्रंप
महाभियोग की सुनवाई के पहले दिन ट्रंप अपने अटार्नी के प्रदर्शन से नाराज हैं। ट्रंप फ्लोरिडा के पाम बीच में मार-आ-लागो क्लब से वाशिंगटन में हो रही सुनवाई का प्रसारण देख रहे हैं। दरअसल, ट्रंप का पक्ष रख रहे वकील ब्रूस केस्टर ने एक नहीं दो बार यह दोहराया कि ट्रंप चुनाव हार गए हैं। जबकि पूर्व राष्ट्रपति ने अब तक एक बार भी यह नहीं कहा है कि वह पराजित हो गए हैं। केस्टर ने अपनी दलील में कहा, 'देशवासी इतने होशियार हैं कि जब उन्हें पुराना कोई पसंद नहीं आता है तो वह नया नेता चुन लेते हैं। अबकी बार के चुनाव में भी उन्होंने यही किया। ट्रंप अब पद पर नहीं हैं। संविधान का जो उद्देश्य था वह पूरा हो गया है। ऐसे में एक सामान्य व्यक्ति के ऊपर महाभियोग नहीं चलाया जा सकता। ट्रंप पर महाभियोग की पहली कार्यवाही में उनके पक्ष में दलीलें रखने वाली अटार्नी एलन देरशोवित्ज ने कहा, 'कोई बहस नहीं हुई। मुझे समझ नहीं आ रहा कि वह (वकील) क्या कर रहे हैं। आखिर वह ऐसा क्यों कह रहे हैं।' ट्रंप के पूर्व कारोबारी सलाहकार पीटर नवारो ने भी पूर्व राष्ट्रपति से अपनी कानूनी टीम को हटाने और सुनवाई के पहले दूसरे वकील को पैरवी करने वाली टीम में रखने का सुझाव दिया।
ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही नहीं देखेंगे बाइडन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि वह ट्रंप के खिलाफ सीनेट में चलने वाली महाभियोग की कार्यवाही नहीं देखेंगे। इसकी जगह वह कोरोना महामारी और आर्थिक संकट से प्रभावित लोगों की मदद करने में अपना वक्त बिताएंगे। उन्होंने कहा, 'महामारी के चलते साढ़े चार लाख लोगों की मौत हो चुकी है। अगर हम तेजी से काम नहीं करते हैं तो और भी लोग प्रभावित हो सकते हैं। सीनेट में महाभियोग की कार्यवाही चल रही है और उच्च सदन इस काम को अच्छी तरह से कर सकता है।
सुनवाई के दौरान भारत में गवर्नर जनरल रहे वारेन हेस्टिंग्स का जिक्र
महाभियोग प्रबंधक जेमी रस्किन ने मुकदमे की संवैधानिकता का बचाव करते हुए कहा कि यह पूरा मामला तथ्यों पर आधारित है। ट्रंप ने अपने वकीलों को भेजा है ताकि तथ्यों को सुनने से रोका जा सके। वे सुबूत पेश किए जाने से पहले सुनवाई खत्म करना चाहते हैं। रस्किन ने भारत में गवर्नर जनरल रहे वारेन हेस्टिंग्स के खिलाफ चलाई गई महाभियोग प्रक्रिया का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि पूर्व अधिकारियों को भी उनकी गलतियों के लिए जवाबदेह ठहराया गया है। बता दें कि वारेन हेस्टिंग्स बंगाल (1772-1774) के पहले गवर्नर जनरल थे। इंग्लैंड लौटने के बाद वर्ष 1786 में भ्रष्टाचार के आरोप में उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू हुई थी। हालांकि 1795 में उन्हें इससे बरी कर दिया गया था।