Move to Jagran APP

मलेरिया से लड़ने में ज्यादा सक्षम है स्वत: पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता, अध्ययन में सामने आई नई जानकारी

ये एंटीबाडी उन वायरस या बैक्टीरिया से जुड़ी होती हैं जिनसे मुकाबला करना होता है। इसके बाद ये एंटीबाडी माइक्रोफेज नामक छोटी कोशिकाओं के संपर्क में आती हैं जो बैक्टीरिया या वायरस को अपना शिकार बनाती हैं ।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 06:15 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 06:15 PM (IST)
मलेरिया से लड़ने में ज्यादा सक्षम है स्वत: पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता, अध्ययन में सामने आई नई जानकारी
प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के बचाव के लिए विभिन्न तंत्रों का इस्तेमाल करती है

कोपेनहेगन (डेनमार्क), एएनआइ। यूनिवर्सिटी आफ कोपेनहेगन के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पाया है कि मलेरिया के खिलाफ स्वत: विकसित प्रतिरोधक क्षमता और टीकाकरण के बाद पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता में अंतर होता है। इम्यूनोलाजी एवं माइक्रोबायलोजी विभाग के प्रोफेसर लार्स हविड ने कहा, 'मलेरिया द्वारा संक्रमित होने पर शरीर में स्वत: रूप से पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता, टीकाकरण के बाद पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता से अलग दिखती है। इसका आशय है कि जब हम मलेरिया से प्राकृतिक रूप से संक्रमित होते हैं तो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ज्यादा प्रभावी होती है।'

loksabha election banner

प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के बचाव के लिए विभिन्न तंत्रों का इस्तेमाल करती है। सामान्य तौर पर पैरासाइट्स, वायरस व बैक्टीरिया आदि का मुकाबला मैक्रोफेज से होता है।

संक्रमण के संपर्क में आने पर प्रतिरक्षा प्रणाली पैदा करती है एंटीबाडी

लार्स हविड कहते हैं, 'जब हम संक्रमण के संपर्क में आते हैं तो प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबाडी पैदा करती है। ये एंटीबाडी उन वायरस या बैक्टीरिया से जुड़ी होती हैं, जिनसे मुकाबला करना होता है। इसके बाद ये एंटीबाडी माइक्रोफेज नामक छोटी कोशिकाओं के संपर्क में आती हैं, जो बैक्टीरिया या वायरस को अपना शिकार बनाती हैं। किसी भी संक्रामक बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली इसी प्रकार काम करती है।'

ये कोशिकाएं कैंसर से मुकाबले में मानी जाती हैं सबसे उत्तम हथियार

हालांकि, अब शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि मलेरिया के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली अलग तरह से काम करती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से मुकाबले के लिए कुछ अन्य प्रकार की कोशिकाओं का इस्तेमाल करती है। इनमें नेचुरल किलर सेल शामिल हैं। ये कोशिकाएं कैंसर से मुकाबले में सबसे उत्तम हथियार मानी जाती हैं। 

बता दें कि शोधकर्ताओं ने घाना के लोगों के रक्त के नमूनों की तुलना करके निष्कर्ष निकाला, जो मलेरिया से संक्रमित थे। उन लोगों के रक्त के नमूनों से जिन्होंने प्रायोगिक मलेरिया वैक्सीन के चरण 1 नैदानिक ​​परीक्षणों में भाग लिया था।

यह भी पढ़ें: Weather Updates: पश्चिमी विक्षोभ के चलते दिल्ली-यूपी समेत कई राज्यों में बारिश और पहाड़ों में बर्फबारी का अलर्ट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.