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'मां नहीं बनना चाहती थी, लेकिन गलत इंजेक्शन से हुई गर्भवती', न्यायाधीश ने सुनाया करोड़ों रुपये के भुगतान का फैसला

इस साल की शुरुआत में सुनवाई के दौरान लासनिक ने बताया कि मां येसेनी पाचेको गर्भवती नहीं होना चाहती थी और 2011 में वह गर्भवती होती भी नहीं अगर नेबरकेयर हेल्थ क्लीनिक में नर्स ने उसे सही इंजेक्शन दिया होता।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 02:48 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 02:48 PM (IST)
'मां नहीं बनना चाहती थी, लेकिन गलत इंजेक्शन से हुई गर्भवती', न्यायाधीश ने सुनाया करोड़ों रुपये के भुगतान का फैसला
बर्थ कंट्रोल की जगह दिया फ्लू का इंजेक्शन

सिएटल, एपी। यहां एक संघीय न्यायाधीश ने एक गंभीर रूप से अक्षम बच्चे के परिवार को 10 मिलियन अमेरीकी डालर(74,14,65,000 रुपये) की मदद देने का फैसला सुनाया है। बताया गया कि एक क्लीनिक नर्स द्वारा अनजाने में बच्चे की मां को बर्थ कंट्रोल इंजेक्शन देने की बजाय फ्लू का इंजेक्शन दे दिया गया, जिससे बच्चे में अभाव देखा गया। सिएटल टाइम्स ने बताया कि अमेरिकी जिला न्यायाधीश रॉबर्ट लासनिक ने पिछले हफ्ते माता-पिता को नुकसान के रूप में 2.5 मिलियन डॉलर और बच्चे के चिकित्सा, शैक्षिक और अन्य खर्चों के लिए 7.5 मिलियन अमरीकी डॉलर देने का आदेश जारी किया।

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इस साल की शुरुआत में सुनवाई के दौरान लासनिक ने बताया कि मां, येसेनी पाचेको, गर्भवती नहीं होना चाहती थी और 2011 में वह गर्भवती होती भी नहीं, अगर नेबरकेयर हेल्थ क्लीनिक में नर्स ने उसे सही इंजेक्शन दिया होता। लासनिक ने इस मामले में सारा आरोप संघीय पर सरकार लगाया। उनका कहना था कि संघीय सरकार हर्जाने के लिए जिम्मेदार है क्योंकि क्लीनिक, जो कम आय वाले और बिना बीमा के मरीजों की सेवा करता है, को संघ द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।

परिवार के वकीलों, माइक मैक्सवेल और स्टीव अल्वारेज ने अदालत के दस्तावेजों में इसे 'गलत गर्भावस्था' और 'गलत जीवन' का मामला बताया है। उन्होंने कहा कि मामला एक कठिन लड़ाई थी। उनके द्वारा शुरुआत में जिम्मेदारी लेने से इनकार करने के लिए सरकार की तीखी आलोचना की गई। उन्होंने एक बयान में कहा कि माता-पिता खुश हैं कि वे अपनी बेटी की असाधारण चिकित्सा देखभाल और प्रशिक्षण के लिए आवश्यक धन प्राप्त करने के करीब हैं। बता दें कि पाचेको तब 16 साल की थी, जब उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

वहीं, अदालत ने पाया कि क्लीनिक में उस दौरान ज्यादातर मरीजों को फ्लू का इंजेक्शन दिया जा रहा था। ऐसे में एक नर्स ने पाचेको के चार्ट की जांच किए बिना ही नहीं उसे बर्थ कंट्रोल इंजेक्शन के बजाय फ्लू का टीका दे दिया। बता दें कि वह बच्ची अब 8 साल की है और एवरेट-एरिया स्कूल में तीसरी कक्षा में है, जो सिएटल के उत्तर में है। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, वह जन्म से ही perisylvian polymicrogyria (PMG) नामक बीमारी से पीड़ित है।


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