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वैज्ञानिकों ने जरूरत से ज्यादा या बार-बार खाने से बचाने का खोजा रास्ता

तंत्रिका के ऐसे सर्किट की पहचान की है जो बार- बार भोजन की तलब पैदा करता है इनके नियंत्रण के लिए के लिए प्रभावी दवाएं तैयार करने की उम्मीद बढ़ गई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 08:57 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 09:00 AM (IST)
वैज्ञानिकों ने जरूरत से ज्यादा या बार-बार खाने से बचाने का खोजा रास्ता
वैज्ञानिकों ने जरूरत से ज्यादा या बार-बार खाने से बचाने का खोजा रास्ता

वाशिंगटन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क में विभिन्न तंत्रिकाओं (नर्व) के ऐसे सर्किट की पहचान की है, जो व्यक्ति में बार-बार खाने की तलब पैदा करता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया के वैज्ञानिकों ने बताया कि कुछ लोग बिना सोचे किसी बात पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। यही स्वभाव जरूरत से ज्यादा या बार-बार खाने और मोटापे का कारण बनता है। इसके कारण नशे या जुए की लत का भी खतरा रहता है। अब वैज्ञानिकों ने दिमाग की तंत्रिकाओं के उस सर्किट को पहचानने में सफलता पाई है, जो इसका कारण बनता है।

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वैज्ञानिकों के अनुसार, हार्मोन के स्नाव से लेकर शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने तक में अहम भूमिका निभाने वाले दिमाग के महत्वपूर्ण हिस्से हाइपोथेलेमस में कुछ कोशिकाएं बिना विचार किए प्रतिक्रिया के लिए प्रेरित करती हैं। शोध के नतीजों से ऐसी दवा ईजाद करने की उम्मीद बनी है, जिससे इस स्वभाव को नियंत्रित करना संभव हो सकता है।

अमेरिका की जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का मानना है कि इस अध्ययन के परिणाम वैज्ञानिकों को ऐसी दवाएं विकसित करने के लिए पे्ररित करेंगे, जो बिना सोच-समझे प्रतिक्रिया देने के स्वभाव को नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस शोध से भविष्य में डॉक्टरों को ओवर ईटिंग यानी ज्यादा भोजन करने की समस्या से छळ्टकारा दिलाने में मदद मिलेगी।

यूजीए कॉलेज ऑफ फैमिली एंड कंज्यूमर साइंसेज की प्रमुख एमिली नोबल का कहना है, हम विशेष तरीकों से उस सर्किट को एक्टिवेट कर अपने व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने चूहे के मॉडल का प्रयोग किया। इस दौरान उन्होंने मस्तिष्क की उन कोशिकाओं पर ध्यान दिया जो मेलनिन कंसंट्रेटिंग हॉर्मोन (एमसीएच) पैदा करती है।

तंत्रिका के ऐसे सर्किट की पहचान की है, जो बार- बार भोजन की तलब पैदा करता है, इनके नियंत्रण के लिए के लिए प्रभावी दवाएं तैयार करने की उम्मीद बढ़ गई है।

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