वैज्ञानिकों ने किया दावा, अस्थमा के चलते कोरोना संक्रमण के गंभीर होने का खतरा नहीं
वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में कहा है कि अस्थमा रोग के चलते किसी व्यक्ति के कोरोना की चपेट में आने या इसके गंभीर होने का खतरा नहीं है। जानें क्या कहता है अध्ययन...
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। कोरोना वायरस (कोविड-19) और अस्थमा को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसमें अस्थमा रोग के चलते किसी व्यक्ति के कोरोना वायरस की चपेट में आने या इसके गंभीर होने का खतरा नहीं पाए जाने का दावा किया गया है। अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, सामान्य लोगों की तुलना में अस्थमा रोगी कोरोना से गंभीर रुप से प्रभावित प्रतीत नहीं पाए गए।
रटगर्स इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड साइंस के निदेशक रेनॉल्ड पेनेटिएरी ने कहा, 'कोविड-19 के खतरे के लिए बुढ़ापा के साथ ही हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, फेफड़ा रोग, डायबिटीज व मोटापा जैसी समस्याओं को कारक माना जा रहा है।' हालांकि अभी तक यह साबित नहीं हो पाया है कि अस्थमा रोग कोरोना संक्रमण के लिए कारक बन सकता है।
एलर्जी एंड क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी पत्रिका में छपे अध्ययन के मुताबिक, फेफड़ा, हृदय, किडनी और आंत की कोशिका झिल्लियों से एक एंजाइम जुड़ा होता है। यह एंजाइम कोशिकाओं में कोरोना के घुसने का माध्यम प्रतीत पाया गया है। इस एंजाइम को खासतौर पर बच्चों में श्वसन संबंधी दूसरे वायरसों की सफाई करने में उपयोगी भी माना जा रहा है।
हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि एंजाइम किस तरह कोरोना की उस क्षमता पर असर डालता है, जिससे वह अस्थमा रोगियों को संक्रमित कर सकता है। अस्थमा के साथ ही उच्च रक्तचाप, डायबिटीज या हृदय रोग से जूझ रहे बुजुर्गो में संक्रमण का खतरा हो सकता है।
इस बीच दुनिया के 239 वैज्ञानिकों का दावा है कि नोवल कोरोना वायरस के कण हवा में रहकर भी लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। कुल 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को खुला पत्र लिखकर इन दावों पर विचार करने के लिए कहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इनडोर क्षेत्रों में शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करने के बावजूद अन्य लोग आसानी से हवा के जरिए संक्रमित हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि चारदीवारियों में बंद रहते हुए भी एन-95 मास्क पहनने की जरूरत है।