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जीन थेरेपी से फिर जवां होंगी आंखें, वैज्ञानिकों को चूहे की आंखें सही करने में मिली बड़ी कामयाबी

वैज्ञानिकों ने जीन थेरेपी की मदद से चूहे की आंखों को फिर जवां करने में सफलता पाई है। शुरुआती चरण में मिली इस सफलता से मनुष्यों में उम्र से संबंधित आंखों की कई बीमारियों के इलाज का रास्ता खुल सकता है। पढ़ें यह दिलचस्‍प रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 06:34 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 06:34 PM (IST)
जीन थेरेपी से फिर जवां होंगी आंखें, वैज्ञानिकों को चूहे की आंखें सही करने में मिली बड़ी कामयाबी
वैज्ञानिकों ने जीन थेरेपी की मदद से चूहे की आंखों को फिर जवां करने में सफलता पाई है।

बोस्टन, पीटीआइ। उम्र के साथ आंखों को होने वाली दिक्कतें दूर करने की दिशा में उम्मीद की नई किरण दिखी है। वैज्ञानिकों ने जीन थेरेपी की मदद से चूहे की आंखों को फिर जवां करने में सफलता पाई है। शुरुआती चरण में मिली इस सफलता से मनुष्यों में उम्र से संबंधित आंखों की कई बीमारियों के इलाज का रास्ता खुल सकता है। इस शोध को विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित किया गया है।

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वैज्ञानिकों ने बताया कि यह पहली बार है जब नर्व सेल्स जैसे कांप्लेक्स टिश्यू को सुरक्षित तरीके से रीप्रोग्राम कर उसकी क्षमता को युवावस्था के स्तर पर ले जाया गया है। अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के जेनेटिक्स प्रोफेसर डेविड सिनक्लेयर ने कहा, 'हमारे अध्ययन से सामने आया है कि रेटिना जैसे कांप्लेक्स टिश्यू की उम्र को रिवर्स किया जा सकता है और उसकी क्षमता को युवावस्था के स्तर पर पहुंचाया जा सकता है।'

प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने चूहे में ऐसी बीमारी को भी दूर करने में कामयाबी पाई, जिसमें काफी हद तक ग्लूकोमा जैसे लक्षण होते हैं। ग्लूकोमा दुनियाभर में अंधेपन का सबसे कारण है। वैज्ञानिकों का कहना है कि केवल आंखों की रोशनी के मामले में ही नहीं, बल्कि इस प्रयोग के सफल रहने से मनुष्यों में उम्र से जुड़े कई लक्षणों को ठीक करना एवं बीमारियों का इलाज पाना संभव हो सकता है।

ऐसे हुआ प्रयोग

प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने चूहे के रेटिना में तीन ऐसे जीन भेजे, जो रेटिना की क्षमता को युवावस्था के स्तर तक लाने में सक्षम थे। रेटिना तक जीन को पहुंचाने के लिए एडेनो एसोसिएटेड वायरस (एएवी) का इस्तेमाल किया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि ये तीन जीन ओसीटी4, एसओएक्स2 और केएलएफ4 आमतौर पर भ्रूण के विकास के समय सक्रिय होते हैं। इस प्रयोग के दौरान चूहे की आंखों की रोशनी वापस लाने में भी कामयाबी मिली।


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