भविष्य में सच होगा दूसरे ग्रहों पर घर बनाने का सपना, वैज्ञानिकों ने पहली बार बनाई सीमेंट
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों ने यह सफल प्रयोग किया है। नासा ने कहा भविष्य में दूसरे ग्रहों पर निर्माण का रास्ता खुला है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) में अंतरिक्ष यात्रियों ने पहली बार सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में सीमेंट के प्रमुख घटक में पानी मिलाकर उसे ठोस बनाया है। नासा ने बताया कि इससे भविष्य में दूसरे ग्रहों पर मनुष्यों को विकिरण और अत्यधिक तापमान से बचाने में मदद मिल सकती है।शोधकर्ताओं ने ठोस हुए सीमेंट की जांच भी की। दरअसल, वह यह समझना चाहते थे कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के तहत हुई प्रक्रिया में रसायन विज्ञान और सूक्ष्म संरचनाएं किस तरह से बदली हैं।
अपने प्रयोग को नासा ने माइक्रोग्रेविटी इंवेस्टिगेशन ऑफ सीमेंट सॉलिडीफिकेशन (एमआइसीएस) प्रोजेक्ट नाम दिया है। इस प्रयोग में शोधकर्ताओं ने सीमेंट के लोकप्रिय घटक ट्राइ कैल्शियम सिलिकेट और पानी को पृथ्वी के बाहर पहली बार आपस में मिलाया। नासा ने बताया कि एमआइसीएस प्रोजेक्ट में अंतरिक्ष विज्ञानियों ने पता लगाया कि क्या सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में सीमेंट जमाकर एक मजबूत स्ट्रक्चर तैयार किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में बनाए गए ठोस सीमेंट के सैंपल (नमूने) और धरती पर बनाए गए सैंपल की तुलना भी की। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा कि जब मनुष्य चांद या मंगल पर रुकने के लिए जाएगा। उसे मजबूत जगह का निर्माण करना होगा, जिसमें वह रहकर काम कर सके। यह कंक्रीट ही है जो पृथ्वी में सबसे ज्यादा उपयोग में लाया जाने वाला बिल्डिंग मैटेरियल है।
नासा ने कहा कि दूसरे ग्रह में ब्रह्मांड के विकिरण से सुरक्षा देने के लिए कंक्रीट ही पर्याप्त सामग्री है, जिसकी मदद से हम किसी ग्रह में मौजूद ठोस चट्टानों को मिलाकर कॉलोनियां बनाई जा सकती हैं। हालांकि, कंक्रीट आम तौर पर मौरंग, बजरी, सीमेंट पाउडर आदि सभी का मिo्रण होता है, जिसका अभी परीक्षण नहीं किया गया है। नासा के अनुसार वैज्ञानिकों ने सीमेंट के प्रकार और पानी की मात्र बदलकर अलग-अलग प्रकार के सैंपल तैयार किए हैं।
अभी कमजोर है अंतरिक्ष में बना स्ट्रक्चर
नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि जैसे-जैसे सीमेंट पाउडर के दाने पानी में घुलते हैं, उनकी आणविक संरचना बदलती है और पूरे मिश्रण में एक-दूसरे से इंटरलॉकिंग बन जाती है। आइएसएस में तैयार किए गए सैंपल की पृथ्वी पर तैयार सैंपल से तुलना की गई तो पाया गया कि अंतरिक्ष का सैंपल अधिक जालीदार है। इसकी वजह से इसकी मजबूती भी पृथ्वी पर बने सैंपल की तुलना में कम है। पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता अलेक्जेंड्रा रेडलिंस्का ने बताया कि अभी अंतरिक्ष में बनाए गए सैंपल की मजबूती को मापा नहीं गया है। ‘फ्रंटियर्स इन मैटेरियल्स’ जर्नल में इस शोध को प्रकाशित किया गया है।