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बंद घरों में कैसे फैलता है कोरोना पता चला, इमारतों को हॉटस्‍पाट बना सकते हैं संक्रमित ड्रॉपलेट्स

वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि कोरोना संक्रमण घरों या किसी भी इमारत के अंदर किस तरह से फैलता है। महामारी का संक्रमण किस तरह सतह पर गिरता या चिपकता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 07:50 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 03:49 AM (IST)
बंद घरों में कैसे फैलता है कोरोना पता चला, इमारतों को हॉटस्‍पाट बना सकते हैं संक्रमित ड्रॉपलेट्स
बंद घरों में कैसे फैलता है कोरोना पता चला, इमारतों को हॉटस्‍पाट बना सकते हैं संक्रमित ड्रॉपलेट्स

वाशिंगटन, पीटीआइ। वैज्ञानिकों ने अब यह पता लगा लिया है कि कोरोना संक्रमण घरों या किसी भी इमारत के अंदर किस तरह से फैलता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब भी कोई संक्रमित बोलता, खांसता या लंबी सांस भी छोड़ता है तो उसके मुंह या नाक से निकलने वाले कोरोना वायरस युक्त ड्रॉपलेट्स किस तरह उस इमारत के पूरे वातावरण में फैलते, रुकते या फिर किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। वैश्विक महामारी का संक्रमण किस तरह किसी सतह पर गिरता या चिपकता है।

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ऐसे हॉटस्‍पाट बन जाती हैं इमारतें

अमेरिका की मिनीसोटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जियारोंग हांग समेत शोधकर्ताओं ने घरों, स्कूलों और शॉपिंग मॉलों आदि की इमारतों के अंदर कोरोना संक्रमित ड्रॉपलेट्स के प्रवाह और ठहराव पर अध्ययन के दौरान पाया कि बंद इमारतों में कुछ समय तक संक्रमित ड्रॉपलेट्स विभिन्न सतहों पर रह जाने से संक्रमण फैलाने के हॉटस्पॉट बन सकते हैं। बिना लक्षण वाले मरीजों के कारण अनजाने में ही यह संक्रमण दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। लिहाजा, कक्षाओं, दफ्तरों, सिनेमाघरों या शॉपिंग मॉल जैसी जगहों का हवादार होना बहुत जरूरी है।

सार्वजनिक स्थलों की व्यवस्था दुरुस्‍त करने में मिलेगी मदद

वैज्ञानिकों का मत है कि घर में अंदर की हवा बाहर जा सके और बाहर की साफ हवा लगातार अंदर आ सके ऐसी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। इस शोध के नतीजों की मदद से अनलॉक के बाद सिनेमाघर आदि सार्वजनिक स्थलों की व्यवस्था बेहतर होगी और संक्रमण को खत्म करने के भी बेहतर उपाय किए जा सकेंगे। शोध के मुताबिक, बंद इमारतों में संक्रमित ड्रॉपलेट्स दस फीसद ही बाहर निकल पाती हैं। बाकी की किसी सतह पर गिरती हैं या किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं।

इमारत में करें यह बदलाव नहीं फैलेगा संक्रमण

वैज्ञानिकों ने पाया है कि संक्रमण से बचने के लिए वेंटिलेशन को एक जगह केंद्रित न करके पूरी इमारत में जगह-जगह उसकी व्यवस्था करनी होगी। अगर सही जगह पर हवा का अंदर-बाहर होना सुचारू रूप से होगा तो संक्रमण की रोकथाम सही तरीके से हो सकेगी। छात्रों या दर्शकों के बैठने की उचित व्यवस्था की जा सकेगी और इनडोर स्थानों को अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा। इस शोध में आठ कोरोना संक्रमित लोगों की मदद से कक्षाओं में इसका अध्ययन किया गया। एक कक्षा में एक संक्रमित अध्यापिका ने 50 मिनट का लेक्चर दिया।

संक्रमण फैलने की बड़ी वजह

लैक्‍चर के दौरान पाया गया एयरकंडशनिंग के बावजूद बहुत सी संक्रमित ड्रापलेट्स क्लास की दीवार पर जाकर चिपक गईं। यह स्थिति निश्चित रूप से कक्षा में बैठे स्वस्थ छात्रों के लिए बेहद घातक होगी। केवल दस फीसद संक्रमण ही कक्षा के बाहर जा सका। कमरे में वेंटिलेशन से हवा का एक बहाव बनता है जिसे वारटेक्स कहते हैं। अधिकांश संक्रमित ड्रॉपलेट्स इन वारटेक्स में फंसकर कमरे में ही रह जाती हैं और किसी सतह पर गिर जाती हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि बंद इमारतों में हवा का यही बहाव संक्रमण फैलने की वजह बनता है।

ऐसे कम किया जा सकता है संक्रमण

शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे स्पष्ट है कि कक्षाओं में हवा का प्रवाह कैसे हो इसे सही तरीके से निर्धारित करके कक्षाओं और अन्य इमारतों को लोगों के लिए बेहतर और सुरक्षित बनाया जा सकता है। जहां अध्यापिका बच्चों को खड़े होकर पढ़ा रही थीं, अगर ठीक उसी जगह पर बेहतर एयर कंडीशनिंग या वेंटिलेशन हो तो संक्रमण को बहुत हद तक कमरे से बाहर किया जा सकता है और कक्षा में मौजूद बाकी लोगों के लिए खतरा कम हो सकता है।


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