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South Korea में मिले बड़े पैरों के निशान, वैज्ञानिकों ने बताया मगरमच्छ भी दो पैरों पर चलते थे

चीन ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के रिसर्चरों ने दक्षिण कोरिया के जींजू फॉर्मेशन में पैरों के कुछ निशान खोजें हैं उसके बाद नतीजे खोजे गए जिस पर ये सामने आया कि ये मगरमच्छ के पैर हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 05:13 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 05:13 PM (IST)
South Korea में मिले बड़े पैरों के निशान, वैज्ञानिकों ने बताया मगरमच्छ भी दो पैरों पर चलते थे
South Korea में मिले बड़े पैरों के निशान, वैज्ञानिकों ने बताया मगरमच्छ भी दो पैरों पर चलते थे

नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स। होश संभालने के बाद हममें से अधिकतर लोगों ने मगरमच्छों को 4 पैरों पर ही चलते देखा है। प्राचीन मगरमच्छों के बारे में लंबे समय से यही माना जाता है कि वो अपने आधुनिक वंशजों की तरह ही चार पांवों पर चलते थे। मगर एक नई स्टडी में उनके दो पैरों पर चलने की संभावना जताई गई है।

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चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के रिसर्चरों ने दक्षिण कोरिया के जींजू फॉर्मेशन में पैरों के कुछ निशान खोजें हैं उसके बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार ऐसी एक रिसर्च रिपोर्ट नेचर साइंटिफिक में छपी है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार दक्षिण कोरिया का यह इलाका पुरातत्व के लिहाज से काफी खोजबीन वाला है।

यहां पर छिपकली, मकड़े और शिकारी पक्षी रैप्टर की कुछ प्रजातियों के 12 करोड़ साल पुराने अवशेष मिले हैं। इनकी खोजबीन की जा रही है। ये सभी चौंकाने वाली चीजें हैं। इन पर रिसर्च करके जो जानकारियां सामने आएंगी वो काफी महत्वपूर्ण होंगी जिसके लिए रिसर्च जारी है। ऐसे भी कई सबूत मिले हैं जिनके आधार पर ये कहा जा रहा है कि प्राचीन समय के मगरमच्छ भी दो पैरों पर ही चला करते थे फिर समय के साथ अब ये 4 पैरों पर चलने वाले हो गए हैं। जो आज हमें दिखाई दे रहे हैं। 

रिसर्चरों का मानना है कि जिन मगरमच्छों के कदमों के निशान मिले हैं वो कम से कम तीन मीटर लंबे थे और उनका वैज्ञानिक नाम बात्राचोपस ग्रांडिस है। यह मगरमच्छ तनी हुई रस्सी पर चलने वाले बाजीगरों की तरह दो पैरों पर चलता था। चिंजू नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशन के क्युंग सू किम का कहना है कि वो ऐसे ही चल रहे थे जैसे कि डायनोसॉर, लेकिन पैरों के ये निशान डायनोसॉर के नहीं हैं। 

पहले रिसर्चरों को लगा था कि ये निशान टेरोसॉर के हैं। यह डायनोसॉर की ही एक प्रजाति है लेकिन उसके पंख होते थे। यह डायनोसॉर 6.6 करोड़ साल पहले तक धरती पर मौजूद था हालांकि अब इन्हें क्रोकोडाइलोमॉर्फ फैमिली का एक सदस्य माना जा रहा है जिसकी अब तक खोज नहीं हुई थी। करीब 10 ईंच लंबे पैरों के निशान से मगरमच्छ के इस रिश्तेदार के आकार का आकलन किया गया है।

क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञानी एंथनी रोमिलियो भी इस रिसर्च रिपोर्ट के लेखकों में शुमार हैं। उनका कहना है कि पैरों के निशान किसी वयस्क इंसान के जितने ही लंबे हैं। हालांकि इनके शरीर की लंबाई तीन मीटर से ज्यादा तक की रही होगी। इसका मतलब है कि वह अपने समकालीन रिश्तेदारों की तुलना में करीब दोगुना लंबा था। यह प्राचीन मगरमच्छ मुमकिन है कि दो पैरों पर चलता रहा होगा और इंसानों की तरह ही अपनी एड़ी घसीटता होगा। यही वजह है कि इसके पैरों के निशान काफी गहरे हैं। 

रोमिलियो ने बताया कि खुदाई वाली जगह पर ना तो हाथों के निशान मिले ना ही पूंछ के। इसके साथ ही इसके चलने का मार्ग भी पतला है। इन सब कारणों से इस संभावना को मजबूती मिलती है कि यह दो पैरों पर चलता रहा होगा। इस खोज से क्रिटेशस काल के दूसरे जीवों के बारे में भी नई जानकारियां सामने आएंगी। टेरोसॉर उसी दौर का जीव है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नई खोज के बाद जिन जगहों पर पहले इस तरह के जीवाश्म मिल चुके हैं वहां पर भी नए सिरे से खोज और अध्ययन किया जाना चाहिए इससे कुछ नई चीजों का पता चलेगा।  


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